UP Nikay Chunav 2023 : निकाय चुनाव में एक नहीं 6-6 बहुजन और समाजवादी पार्टी मैदान में, दिग्गज पार्टियों के लिए बनीं हथियार
UP Nikay Chunav 2023 : चुनाव आते ही कई छोटी और नई पार्टियां कुकुरमुत्ते की भांति तेजी से अस्तित्व में आती हैं और चुनाव खत्म होते हीं उनका नाम तक कोई नहीं जानता. राज्य निर्वाचन आयोग के पास भी ऐसी पार्टियों का पंजीकरण कराया गया होता है लेकिन सवाल है कि ऐसी पार्टियों के आने से क्या लाभ और हानी होते हैं?
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां वोटर्स को साधने में जुट जाती हैं और ऐसा होना आम बात है लेकिन कुकुरमुत्ते की भांति कुछ नई पार्टियां भी तेजी से अस्तित्व में आ जाती हैं और गायब उससे भी अधिक तेजी में हो जाती हैं. इन पार्टियों के संयोजक बहुत दिमाग लगाते हैं और पार्टी का नाम किसी भी स्थापित पार्टी से मिलता-जुलता रख लेते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के पास भी इनका पंजीकरण हुआ रहता है लेकिन ऐसी पार्टियां गैर-मान्यता प्राप्त होती हैं.
कुकुरमुत्ते की भांति पार्टियां
अब इन पार्टियों के नाम ही देख लीजिए- बहुजन महा पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी इसके अलावा बहुजन क्रांति पार्टी, एक और है बहुजन विजय पार्टी, इन सभी का नाम बहुजन समाज पार्टी जैसा ही लग रहा है.
इन पार्टियों के नाम भी देखिए, इन पार्टियों के नाम भी समाजवादी पार्टी से बहुत हद तक मिलते हैं.
सुभाषवादी भारतीय समाजवादी पार्टी ये नाम देखिए
संयुक्त समाजवादी दल
भारतीय समाजवादी पार्टी
नवीन समाजवादी दल
राष्ट्रीय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी
मिलता-जुलता नाम होने का कारण
जानकारी है कि ऐसी पार्टियों में से ज्यादातर को मुख्य राजनीतिक पार्टियां बढ़ाती हैं जिससे कि ऐसी पार्टियों के नाम परपाया जा सके और अतिरिक्त गाड़ियां भी उपलब्ध कराई जा सकें. ऐसी पार्टियां ये भी करती हैं कि जनता को बड़ी पार्टियों के नाम से भ्रम में डालकर उनका वोट काट लेते हैं.
पंजीकृत पार्टियां
यूपी राज्य चुनाव आयोग की बात करें तो आयोग के पास 127 की संख्या में पंजीकृत पार्टियां हैं जिनमें हाई-टेक पार्टी और राइट टू रिकॉल पार्टी जैसे नाम वाली पार्टियां शामिल हैं. सबका दल यूनाइटेड, विधायक दल से लेकर आधी आबादी पार्टी और लोग पार्टी जैसे नाम भी हैं. बहादुर आदमी पार्टी से लेकर इस्लाम पार्टी जैसी पार्टियां भी हैं. यूपी में फिलहाल नगर निकाय का इलेक्शन चल रहा है लेकिन पार्टियों के कोई भी उम्मीदवार नहीं दिखाई पड़ रहे हैं.
ओबीसी को सपोर्ट वाली पार्टी
ओबीसी को सपोर्ट करने के दावे के साथ पिछड़ा वर्ग महापंचायत पार्टी साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरी थी, जिसका निशान माचिस की तीली था. हालांकि सभी पार्टियों से धोखा खाने के बाद पार्टी ने सभी 403 सीटों पर लड़ने का फैसला लिया था, लेकिन आज उसका कोई अस्तित्व नहीं बचा है.
राजपाल यादव की पार्टी
आपने सर्व संभव पार्टी (एसएसपी) का नाम सुना है आपने? साल 2017 के यूपी इलेक्शन में उतरी एसएसपी बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव की पार्टी है. यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस वक्त कहा था कि कहा था- अपने दोनों भाइयों को मैं 10 साल से ज्यादा समय से राजनीति में ट्रेन कर रहा हूं. हालांकि, यादव ने माना था कि इस बार एक भी सीट उनकी पार्टी नहीं जीत पाएगी. लोगों तक अपनी विचारधारा पहुंचाने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने की बात कही थी.
तब का दिन है और आज का दिन है, राजपाल यादव की पार्टी के बारे में आज कोई जानता तक नहीं है.
कभी कभी ऐसा भी होता है कि राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण बुरी सोच के साथ भी करवाई जाती है. इनमें से कई संगठन ऐसे भी होते हैं जो अपने एजेंटों और गाड़ियों को आउटसोर्स करके पूरे इलेक्शन में अच्छा पैसा कमा लेते हैं.
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