लखनऊ : उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. एक ऐसी जीत जिसे बहुत वक्त तक याद किया जाएगा लेकिन इतनी बड़ी जीत के बाद भी जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात आती है तो पार्टी के हाथ मायूसी ही लगती है. मेरठ-सहारनपुर जैसे मंडलों से बीजेपी नगर पालिका के साथ ही पंचायत अध्यक्ष पद की 90 में से 64 सीटें हार गई . सवाल ये है कि यूपी के पश्चिम की सीटों को गंवाने की वजह क्या रही. 


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आंकड़े क्या कहते हैं
आंकड़े बताते हैं कि सीएम योगी के प्रचार प्रभाव ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों में कम देखने को मिला. मेयर सीट को छड़ दें तो मेरठ-सहारनपुर मंडल में बीजेपी ने को बड़ा तीर नहीं मारा है. देखें तो बागपत हो या फिर मुजफ्फरनगर या गाजियाबाद, ऐसे शहरों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने बेहतर प्रदर्शन किया. इन दोनों मंडलों में अगर कहीं बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है तो वो है बुलंदशहर जहां के नगर निकायों की सीटों पर पार्टी कब्जा जमा पाई है.


टिकट बंटवारा 
माना जा रहा है कि इस एरिया में बीजेपी के गलत टिकट बंटवारा हार का कारण बनी है. जिसे लेकर पार्टी के भीतरखाने में नेता नाराज थे. बुलंदशहर में बीजेपी ने एक साल पहले ही प्रत्याशियों को दो टिकट दे दिए। जिसके कारण कुछ पुराने कार्यकर्ता अध्यक्ष पद का टिकट नहीं हासिल कर पाए थे. यही ने कार्यकर्ता चुनाव के समय बागी हो गए और मैदान में उतरकर बीजेपी का खेल बिगाड़ डाला. 


चौथे नंबर पर रही पार्टी 
जेवर सीट की बात करें तो यहां बागियों के मौदान फतह करने जैसे स्थिति नजर आई. चुनाव से कुछ दिन पहले ही बीजेपी में शामिल होने वाले लोगों को यहां पर प्रत्याशी बनाया गया. इसका परिणाम ये रहा कि बगावत के कारण पार्टी चौथे नंबर की होकर रह गई.


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