नैनीताल HC के आदेश का पालन ना करना सचिव आबकारी को पड़ा महंगा, कोर्ट ने भेजा नोटिस
नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश का पालन न करना प्रदेश के सचिव आबकारी को महंगा पड़ गया है.
नैनीताल: नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश का पालन न करना प्रदेश के सचिव आबकारी को महंगा पड़ गया है. नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने आबकारी सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के अंदर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
दरअसल गरुड़ नीवासी अधिवक्ता डी.के.जोशी ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश में शराब के बढ़ रहे प्रचलन और लोगों की मौत समेत हो रही बीमारियों को देखकर जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है जिसका पालन नहीं हो रहा है, और जगह जगह सार्वजनिक स्थानों, स्कूल, मंदिरों के आस पास शराब की दुकान खुली हुई है.
इस याचिका को लेकर कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया था. जिसका पालन नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है. लेकिन राज्य सरकार उत्तराखंड में नई-नई शराब की दुकानें खोल रही है, जो दुर्भाग्य पूर्ण है.
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आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व में उत्तराखंड को शराब मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए थे साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बाजारों में आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे, वहीं कोर्ट ने 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना देने के भी आदेश दिए हैं.
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