Nainital News: उत्‍तराखंड का नैनीताल जिला 'दरक' रहा है. यहां पहाड़ों से भूस्‍खलन का खतरा बढ़ता जा रहा है. उत्‍तराखंड सरकार भूस्‍खलन के खतरे को लेकर सजग है. उत्‍तराखंड की धामी सरकार ने विशेषज्ञों की टीम को सर्वे करने को कहा है. विशेषज्ञों की टीम अगले महीने वैज्ञानिक पहलुओं पर अध्‍ययन करेगी. सर्वे के बाद भूस्‍खलन को रोकने के लिए उपाय अपनाए जाएंगे. 


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नैनीतला में भूस्‍खलन का खतरा बढ़ा 
दरअसल, नैनीताल शहर पहाड़ों के बीच में बसा है. आसान भाषा में कहें तो नैनीताल शहर चारों तरफ पहाड़ों से घिरा है. ऊपर मल्‍लीताल की तरफ , एक तरफ अयारपाटा तो दूसरी तरफ शेर का डांडा पहाड़ी है. नीचे तल्‍लीताल की तरफ बलिया नाला है. चारों तरफ से घिरी पहाड़‍ियों के दरकने का खतरा बढ़ गया है. भूस्‍खलन की घटनाएं भी आने लगी हैं. भूस्‍खलन की इन घटनाओं ने न केवल नैनीताल में रहने वाले लोगों बल्कि सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है. 


पहाड़‍ियों से घिरा नैनीताल शहर
वहीं, भूवैज्ञानिकों ने भी चिंता जाहिर की है. भूवैज्ञानिकों का कहना है कि अगर नैनीताल में निर्माण कार्य नहीं रोका गया तो भूस्‍खलन का खतरा और बढ़ जाएगा. स्‍थानीय लोगों का कहना है कि यहां बलियानाला पिछले पांच दशक से धंस रहा है. 1972 से लगातार यहां भूस्‍खलन हो रहा है. कोई ध्‍यान नहीं दिया जा रहा है. लोगों का कहना है कि अगर बलिया नाला धंसा तो पूरा नैनीताल शहर धंस जाएगा. बलिया नाले में आसपास के कई घर पहले ही इसमें समा चुके हैं. 


वैज्ञानिक तकनीक से होगा सर्वे 
इन घटनाओं को देखते हुए अब उत्‍तराखंड भूस्‍खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र की ओर से भूस्‍खलन स्‍थलों समेत पूरे शहर का सर्वे कराया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि वैज्ञानिक विधियों से अगले 6 माह तक सर्वे कराया जाएगा. अध्ययनों के आधार पर शहर की कंटूर मैपिंग के साथ ही अन्य डाटा संकलित किया जाएगा. विभिन्न विषय विशेषज्ञ नैनीताल का टोपोग्राफिक और जियोटेक्निकल सर्वे करेंगे. इसमें मिट्टी के नमूनों से इसकी मजबूती परखी जाएगी. 



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