Narayan Dutt Tiwari Birth Anniversary: उत्‍तराखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री नारायण दत्‍त तिवारी की आज 99वीं जयंती है. उत्‍तराखंड के नैनीताल में जन्‍मे नारायण दत्‍त तिवारी यानी एनडी तिवारी के जीवन का सफर तमाम उतार-चढ़ावों से भरा रहा है. एनडी तिवारी के जीवन संघर्ष किसी गाथा से कम नहीं है. तो आइये जानते हैं एनडी तिवारी के जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्‍प बातें. 


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नारायण दत्‍त तिवारी के जीवन से जुड़ी दिलचस्‍प बातें
एनडी तिवारी का जन्‍म 18 अक्‍टूबर 1925 को नैनीताल के बलतूी गांव में हुआ था. उनके पिता पूर्णानंद तिवारी वन विभाग में अफसर थे. एनडी तिवारी की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई नैनीताल, हल्‍द्वानी और बरेली के स्‍कूलों में हुई. इसके बाद वह उच्‍च शिक्षा के लिए इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आ गए. देश आजाद होने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के चुनाव हुए. पहली बार एनडी तिवारी यहां से छात्र संघ अध्‍यक्ष बने. एनडी तिवारी के नाम एक और रिकॉर्ड रहा, उत्‍तराखंड के एकमात्र ऐसे मुख्‍यमंत्री जिन्‍होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. 


उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री बने 
साल 2000 में उत्‍तराखंड अलग राज्‍य बना तो पहले मुख्‍यमंत्री के तौर पर नित्‍यानंद स्‍वामी ने शपथ ली. करीब एक साल तक मुख्‍यमंत्री रहने के बाद भाजपा नेता भगत सिंह कोश्‍यारी नए सीएम बने. वह भी 122 दिन तक ही उत्‍तराखंड के सीएम रहे. इसके बाद 2 मार्च 2002 को एनडी तिवारी ने मुख्‍यमंत्री की कमान संभाली, जो पांच साल कार्यकाल पूरा कर इतिहास रच दिया. उनके मुख्‍यमंत्री रहने के दौरान लाल पेन की चर्चा खूब होती है. वह मुख्‍यमंत्री कार्यालय में 18-18 घंटे काम करते थे. अफसरों से खुद ही सवाल जवाब करते थे. उनकी फाइलों में लाल पेन के निशान मिलते थे. 


प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए 
जब राजीव गांधी की हत्‍या हुई तो कांग्रेस में सबसे वरिष्‍ठ नेताओं में दो नाम सामने आया. पहला एनडी तिवारी और दूसरा नरसिम्‍हा राव. नरसिम्‍हा राव को कांग्रेस का अध्‍यक्ष बना दिया गया. 1990 में प्रधानमंत्री की दौड़ में एनडी तिवारी का नाम रेस में सबसे पहले था. हालांकि, नैनीताल लोकसभा सीट से 800 वोटों से मिली हार के बाद उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना टूट गया. हालांकि, बाद में एनडी तिवारी कांग्रेस के अध्‍यक्ष भी बने. 


एनडी तिवारी का राजनीतिक सफर 
एनडी तिवारी ने 3 बार यूपी के मुख्‍यमंत्री बने. साल 1976, 1985 और 1988 में उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री के रूप में सेवा की.  हालांकि एक भी बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं चला सके. उत्तराखंड अलग राज्‍य बनने के बाद वह 2002 से लेकर 2007 तक सीएम रहे. एन डी तिवारी, चौधरी चरण सिंह की सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रहे. राजीव गांधी कैबिनेट में विदेश मंत्री भी रहे. साथ ही एनडी तिवारी ने राज्यसभा सांसद, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल से लेकर योजना आयोग के ड‍िप्‍टी चेयरमैन भी रहे. 



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