गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ एक और बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. मामला दलित समुदाय के कथित धर्मांतरण से जुड़ा हुआ है.  जिसे लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियों ने तूल देना भी शुरू कर दिया, लेकिन अब इस बात का खुलासा हो चुका है कि पूरा मामला योगी सरकार के खिलाफ रची गई साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है. बीजेपी के स्थानीय विधायक ने जब इस मामले को गलत बताया तो प्रशासन की जांच के बाद मामला कोरा झूठ निकला. न तो प्रशासन को धर्म परिवर्तन के कोई सबूत मिले, न ही कोई प्रमाण पत्र और रजिस्ट्रेशन नंबर. 


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ऐसी फैलाई गई धर्मांतरण की अफवाह 
मामला साहिबाबाद थानाक्षेत्र के करेहड़ा गांव का है . यहां 14 अक्टूबर को अफवाह फैलाई गई कि वाल्मीकि समाज के 50 परिवारों ने हाथरस की घटना से आहत होकर धर्म परिवर्तन कर लिया है और बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली है. कहा ये भी गया कि 50 परिवारों के 236 लोगों ने आर्थिक तंगी और उत्पीड़न से तंग आकर बौद्ध धर्म अपनाया है. इसके बाद उन्हें धर्म परिवर्तन का सर्टिफिकेट भी दिया गया है.


मोंटू वाल्मीकि की तहरीर पर दर्ज हुआ मुकदमा 
मामले में मुकदमा मोंटू वाल्मीकि नाम के शख्स की तहरीर पर दर्ज हुआ. तहरीर में कहा गया कि धर्मांतरण की झूठी अफवाह फैलाकर समाज में वैमनस्य डालने की कोशिश की गई है. पुलिस ने जब मामले की जांच की तो आपराधिक षड्यंत्र का खुलासा हुआ कि सादे और अधूरे कागजों के आधार पर ही धर्मांतरण की अफवाह फैला दी गई. हैरानी की बात तो ये थी कि लोगों से कहा गया कि उन्हें सरकार की लाभकारी योजनाओं के फॉर्म दिए जा रहे हैं, जिन्हें बाद में धर्मांतरण का कागज बता दिया गया. 


जांच में धर्म परिवर्तन के साक्ष्य नहीं मिलने के बाद एडीएम सिटी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर वे एसपी सिटी के साथ मौके पर पहुंचे लेकिन धर्मांतरण के कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले. जांच रिपोर्ट में धर्म परिवर्तन के प्रमाण पत्र में कोई मोहर और रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होने की बात कही गई है.


नंदकिशोर गुर्जर ने 'आप' और डी कंपनी से जोड़े तार 
उधर मामले में गाजियाबाद के लोनी से विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा है कि  दाऊद इब्राहिम, आईएसआई और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत आप के कई नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे देश को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं.  


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