महोबा : लंबे समय से अलग बुंदेलखंड राज्‍य की मांग कर रहे बुंदेलों ने एक बार फिर अपनी मांग को तेज कर दिया है. अलग बुंदेलखंड राज्‍य की मांग को लेकर महोबा के बुंदेली समाज के लोग बीते एक सप्‍ताह से अनशन पर बैठे हुए हैं. अब उनके इस आंदोलन को समाजसेवियों और राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिलने लगा है. महोबा जिला मुख्यालय के आल्हा चौक पर बुन्देली समाज बीते एक सप्ताह से अनशन पर बैठा है. इस आंदोलन में स्थानीय लोगों के अलावा समाजसेवियों और राजनेताओं का सहयोग मिलने लगा है.


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बुंदेलखंड राज्य बनाने की मांग सबसे पहले इंसाफ सेना ने शुरू की थी. उस समय भी बहुत जोरशोर से आवाज उठी थी लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब एक बार फिर इस आंदोलन की मुहिम बुन्देली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने शुरू की है. अब देखना यह है कि यह आंदोलन कितना रंग लाता है. बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर कहते हैं कि बुंदेलखंड राज्य 1949 में विंध्‍य प्रदेश से अलग होकर आधा मध्य प्रदेश और आधा उत्तर प्रदेश में चला गया था. इसके बाद से इसके साथ हमेशा भेदभाव होता रहा है. समस्याओं का यहां अंबार लगा है जिनका निपटारा आज तक नहीं हो सका है.


उनका कहना है कि अमेरिका में 35 करोड़ की आबादी है और वहां पर 50 राज्य हैं जबकि हिंदुस्तान में 133 करोड़ की आबादी है और मात्र 29 राज्य हैं. इसकी वजह से मैनेजमेंट नहीं हो पा रहा है. इसीलिए हम लोग अलग राज्य चाहते हैं. यह हमारा अनिश्चितकालीन अनशन है और यह जारी रहेगा. समाजसेवी सुखनंदन कहते हैं कि बीजेपी सरकार छोटे-छोटे राज्य बनाने की पक्षधर है. जैसे बिहार से कटकर झारखंड बना, छत्तीसगढ़ बनाया गया, उत्तराखंड बनाया गया, उनकी प्रगति देखी गई. जिससे मालूम होता है कि छोटे राज्य जल्दी प्रगति करते है. बुंदेलखंड में इतनी खनिज संपदा है कि यहां 5 वर्षों में अलग विकास दिखाई देगा और इसका पिछड़ापन दूर होगा.


बुंदली समाज के इस आंदोलन में वकील भी कूद पड़े हैं. कृष्णगोपाल कहते हैं कि इस आंदोलन में हम लोगों का पूर्ण सहयोग है और भी लोगों का सहयोग मिल रहा है. यदि बुंदेलखंड राज्य बन जाएगा तो यहां की खनिज संपदा जो लूटी जा रही है उसका लाभ मिलेगा और बुन्देलखंड खुशहाल होगा.