Bulandshahr Ceramic Pottery: मिट्टी के बर्तनों का बड़ा बाजार है यूपी का ये शहर, दिवाली पर खूब बिकते हैं सिरेमिक बर्तन
Bulandshahr Ceramic Pottery: बुलंदशहर में सिरेमिक उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है, जिसमें कुम्हारों द्वारा बनाए जाने वाले सुंदर और उपयोगी बर्तन प्रमुख हैं. उत्पादों में मिट्टी के बर्तन, सजावटी वस्तुएं और खिलौने शामिल हैं उत्पादन प्रक्रिया में बर्तनों को बनाने, फिनिशिंग, डिजाइनिंग, भट्टी में पकाने और पेंटिंग शामिल है.
मिट्टी के बर्तनों का बड़ा बाजार है यूपी का ये शहर, दिवाली पर खूब बिकते हैं सिरेमिक बर्तन
दिवाली के बाजार
दिवाली पर दीयों से लेकर साज-सजावट तक मिट्टी के बर्तनों की भारी डिमांड रहती है. कुम्हार के हाथों से बने ये सुंदर और रंग-बिरंगे बर्तनों से बाजार भरे रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिट्टी के बर्तनों का ये बड़ा इलाका कहां है, जहां से दिल्ली-नोएडा और गाजियाबाद तक ये बर्तन बाजारों में लाए जाते हैं.
सुंदर और उपयोगी सिरेमिक उत्पाद
बुलंदशहर में सिरेमिक के बने बर्तनों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. कुम्हार के हाथों से बने सुंदर और उपयोगी सिरेमिक उत्पादों के लिए जाने जाते हैं. मिट्टी के बर्तनों में कप, प्लेट, थाली, कटोरा व अन्य बर्तन की मांग रहती है. जबकि सजावटी वस्तुओं में दीवार घड़ी, फूलदान से लेकर खिलौने तक शामिल हैं.
300 से ज्यादा कारखाने
बुलंदशहर खुर्जा की बर्तन बनाने वाली इकाइयों में त्योहारों में खूब मांग रहती है. यहां 300 से ज्यादा कारखाने बर्तन बनाने के हैं, जिनमें हजारों की संख्या में कारीगर काम करते हैं. खासकर सितंबर-अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक खूब बाजार सजते हैं.
मिट्टी के बर्तनों का इतिहास
बुलंदशहर में 1940 के आसपास मिट्टी के बर्तनों का ये काम शुरू हुआ. 1942 में मिट्टी के बर्तनों का पहला कारखाना स्थापित हुआ. फिर यूपी सरकार की ओडीओपी योजना के तहत इन्हें खूब बढ़ावा मिला है.
फिनिशिंग और डिजाइन
मिट्टी के बर्तनों को बनाने के बाद इसकी फिनिशिंग होती है. फिनिशिंग के साथ डिजाइन होता है. गर्म भट्टी में पकाया जाता है. करीब एक दिन तक पकाने के बाद उत्पाद तैयार हो जाता है. फिर उसमें पेंटिंग व अन्य डिजाइन ऊपर से किया जाता है.
दूसरे देशों को निर्यात
खुर्जा में 40 से ज्यादा कारखानों से विदेश में भी क्रॉकरी का माल निर्यात होता है. यूरोप, अमेरिका, एशिया और अफ्रीका के बड़े बाजारों में इसे बेचा जाता है. हर साल 20 से 25 करोड़ का सामान निर्यात होता है. अमेरिका, साउथ कोरिया, इटली, सऊदी अरब भी माल जाता है.
नोएडा-गाजियाबाद में भी मांग
नोएडा, गाजियाबाद से लेकर दिल्ली तक इन सिरेमिक उत्पादों की भारी मांग रहती है. अट्टा बाजार, सरोजिनी नगर मार्केट से लेकर कनॉट प्लेस, घंटाघर, तुराब नगर मार्केट तक ये उत्पाद आपको दिख जाएंगे.
मिट्टी का चयन और पीसना
सिरेमिक पॉटरी बनाने के लिए पहले मिट्टी का चयन किया जाता है, इस मिट्टी में क्वार्टज, फेल्डस्पार और काओलिन नामक खनिज होते हैं. चुनी हुई मिट्टी को पीसकर उसे पाउडर बनाया जाता है और फीर पाउडर को पानी में मिलाकर उसे गूंथा जाता है ताकि वह एक लोचदार आटे जैसा बन जाए.
आकार देकर जलाना और ग्लेज़िंग करना
गूंथे हुए मिट्टी को विभिन्न आकारों में ढाला जाता है, जैसे कि बर्तन, सजावटी वस्तुएँ आदि. आकार देने के बाद मिट्टी के उत्पादों को धूप में या ओवन में सुखाया जाता है. सुखाने के बाद उत्पादों को पहली बार 1000 डिग्री सेल्सियस पर जलाया जाता है. पहली बार जलाने के बाद उत्पादों पर ग्लेज़ लगाया जाता है, जो उन्हें चमकदार और जलरोधी बनाता है. अंत में उत्पादों को पॉलिश किया जाता है ताकि वे चमकदार और आकर्षक दिखें.