फायर अलार्म नहीं बजा, Exit गेट नहीं...झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड में वो सवाल जिनके जवाब मिलने अभी बाकी
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से बड़ा हादसा हो गया. अग्निकांड में 10 मासूम बच्चे जिंदा जल गए. वहीं, 16 बच्चे अभी जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं. भीषण अग्निकांड के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं.
अग्निकांड पर उठे ये सवाल
अग्निकांड के बाद शुरुआती जांच में पता चला है कि झांसी मेडिकल कॉलेज में लगे आग बुझाने वाले उपकरण एक्सपायर हो गए थे. यहां लगे फायर सिलेंडर साल 2019 में ही एक्सपायर हो चुके थे.
अनदेखी पड़ी भारी
बताया गया कि खाली सिलेंडरों को 2020 में रिफिल कराया जाना था, लेकिन मेडिकल प्रबंधन ने इसे अनदेखा कर दिया और रिफिल नहीं कराया. इसके बाद इतनी बड़ी घटना हो गई.
तो बच जाती जान
खाली पड़े सिलेंडर पर पीतांबरा फायर सर्विस कंपनी का नाम चस्पा है जिसकी यह जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर सिलेंडर को रिफिल करें.
सिलेंडर भराए नहीं गए
जानकारी के मुताबिक, साल में एक बार सिलेंडर की मेंटेनेंस जांच करके उन्हें रिफिल किया जाता है, लेकिन अफसरों की लापरवाही और कंपनी की मनमानी के चलते इन्हें दुरुस्त नहीं किया गया.
मॉकड्रिल भी कराई गई थी
अग्नि शमन विभाग की लापरवाही भी सामने आ रही है. फरवरी में अस्पताल का सर्वे किया गया था. मॉकड्रिल भी की गई थी. खाली पड़े सिलेंडर के बाद भी कैसे विभाग के अधिकारियों द्वारा एनओसी दे दी गई.
त्रिस्तरीय जांच के आदेश
यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने त्रिस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. इसमें मेडिकल प्रशासन, जिला प्रशासन और राज्य सरकार तीनों टीमें अलग-अलग जांच कर रही हैं.
शार्ट सर्किट भी वजह बताई जा रही
अग्निकांड की एक वजह शॉर्ट सर्किट भी बताई जा रही है. शार्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई और सिलेंडर में ब्लास्ट हो गया. हालांकि, अभी तक शार्ट सर्किट से आग की पुष्टि नहीं हुई है.
आग बुझाने की यंत्र नहीं
साथ ही ये सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या हादसे के समय अस्पताल के वार्ड में आस पास कोई आग बुझाने के उपकरण मौजूद थे?. अग्निशामक यंत्र होता तो आग इतनी न भड़कती.
फायर एक्सपर्ट नहीं?
इसके अलावा अगर फायर एक्सटिंग्विशर NICU के पास था तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?. क्या कोई फायर एक्सपर्ट, फायर फाइटर ऐसे हालात से निपटने के लिए अस्पताल में मौजूद था?