उत्तर प्रदेश -उत्तराखंड के वे नेता जो रहे संविधान सभा का हिस्सा

हमारे देश में संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन हम लोगों ने संविधान को अपनााया था. 26 नवंबर 1949 को, भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. आइए उत्तर प्रदेश- उत्तराखंड , जिसे उस समय संयुक्त प्रांत कहा जाता था, के उन नेताओं के बारे में बताते हैं जो कि संविधान बनाने वाली सभा का हिस्सा थे.

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जवाहरलाल नेहरू

जवाहरलाल नेहरू एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे.आजादी का आंदोलन का नेतृत्व करने में नेहरू महात्मा गांधी के बाद दूसरे स्थान पर थे. 1947 में ब्रिटेन से भारत की आजादी के बाद, उन्होंने 16 वर्षों तक देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. 

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अबुल कलाम आज़ाद

अबुल कलाम आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. भारत की आज़ादी के बाद, वे भारतीय सरकार में पहले शिक्षा मंत्री बने. भारत में शिक्षा की नींव रखने में उनके योगदान को पूरे भारत में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाकर मान्यता दी जाती है.  

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गोविंद बल्लभ पंत

गोविंद बल्लभ पंत एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल के साथ, पंत भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे और बाद में भारतीय सरकार में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे. वे उत्तर प्रदेश के अग्रणी राजनीतिक नेताओं में से एक थे. हिंदी को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने में उनका योगदान गिना जाता है.

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जीवतराम भगवानदास कृपलानी

जीवतराम भगवानदास कृपलानी जिन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे. 1947 में वे कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वे गांधीवादी समाजवादी थे और एक समय पर,गांधी के सबसे उत्साही शिष्यों में से एक थे. वे भारत की संविधान सभा को संबोधित करने वाले पहले सदस्य थे.

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फिरोज जहांगीर गांधी

फिरोज जहांगीर गांधी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और पत्रकार थे. उनकी पत्नी इंदिरा गांधी और उनके बड़े बेटे राजीव गांधी दोनों भारत के प्रधानमंत्री रहे. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे.

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सुचेता कृपलानी

सुचेता कृपलानी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं. वह भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख के रूप में कार्य किया.

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पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरुषोत्तम दास टंडन प्रयागराज से संबंध रखते थे. उन्हें भारत के विभाजन के विरोध के साथ-साथ हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के प्रयासों के लिए व्यापक रूप से याद किया जाता है. उन्हें पारंपरिक रूप से राजर्षि की उपाधि दी गई थी. वे लोकप्रिय रूप से यूपी गांधी के नाम से जाने जाते थे. उन्हें 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

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कमलापति त्रिपाठी

कमलापति त्रिपाठी राजनेता होने के साथ साथ लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे. वे वाराणसी  से संबंध रखते थे. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में भी कार्य किया. 

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हसरत मोहानी

सैयद फ़ज़ल-उल-हसन जिन्हें उनके उपनाम हसरत मोहानी के नाम से जाना जाता है, एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने 'इंकलाब ज़िंदाबाद' का नारा दिया था. उन्हें भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने वाले पहले व्यक्ति के रूप में माना जाता है. वे उर्दू के शायर थे.  उन्होंने प्रसिद्ध ग़ज़ल 'चुपके चुपके रात दिन' लिखी. 

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महावीर त्यागी

महावीर त्यागी भारत की संविधान सभा के सदस्य थे. उन्हें विशेष रूप से असुरक्षित निवारक कैद या नजरंबदी कानूनों और आपातकालीन स्थितियों में मौलिक अधिकारों के निलंबन के खिलाफ़ अपने मज़बूत रुख़ के लिए जाना जाता है. वे निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायपालिका के पक्षधर थे. उन्होंने पृथक निर्वाचिका मंडल की धारणा का विरोध किया.

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