यूपी का इकलौता मंदिर जहां हनुमान जी की लकड़ी की प्राचीन प्रतिमा, राहुल गांधी ने भी टेका मत्था
रायबरेली से सांसद बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार रायबरेली के पिपलेश्वर हनुमान मंदिर पहुंचे. इस मंदिर से गांधी परिवार का पुराना नाता रहा है. 100 साल पुराना यह मंदिर यूपी का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा लकड़ी की है.
राहुल गांधी ने किए दर्शन
कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को रायबरेली में हनुमान मंदिर के दर्शन पूजन किए.
सांसद बनने के बाद पहली बार पहुंचे
रायबरेली से सांसद बनने के बाद पहली बार मत्था टेकने मंदिर पहुंचे थे. इससे पहले रायबरेली में चुनाव लड़ने के दौरान भी वह मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे.
इकलौता मंदिर
आमतौर पर पत्थर की मूर्तियां होती हैं. उत्तर प्रदेश में हनुमान जी का यह इकलौता ऐसा मंदिर है. जहां हनुमान जी की प्रतिमा लकड़ी की है. शायद ही कोई और जगह होगी जहां ऐसा देखने को मिलेगा.
रायबरेली का प्रवेश द्वार
इस मंदिर को रायबरेली का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. यह मंदिर लखनऊ-प्रयागराज हाईवे पर स्थित है. रायबरेली आने से पहले लोग इस मंदिर में मत्था जरूर टेकते हैं.
पूरी होती हैं मान्यताएं
हनुमान जी के इस मंदिर में शनिवार और मंगलवार को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. और कष्ट दूर होते हैं.
100 साल पुराना मंदिर
पिपलेश्वर हनुमान मंदिर करीब 100 साल पुराना है. मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने मात्र से ही आपके सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
क्या है मान्यता
कहा जाता है कि मंदिर की प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है बल्कि यह पीपल के पेड़ से निकली है. आंधी में जब पीपल का पेड़ गिरा तो इसकी जड़ में हनुमान जी की प्रतिमा दिखी थी.
दिग्गज हस्तियां आ चुकीं
इस मंदिर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर राजनाथ सिंह, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के साथ ही बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और राजपाल यादव भी इस मंदिर पर आते रहे हैं.
गांधी परिवार का पुराना नाता
गांधी परिवार का इस मंदिर से बहुत पुराना नाता है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर रायबरेली के मौजूदा सांसद राहुल गांधी इस मंदिर में दर्शन करने आते रहे हैं.
डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है.इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. जी यूपीयूके हूबहू इसकी पुष्टि नहीं करता है.