शिवलिंग पर जलाभिषेक का क्या है सही तरीका, तेज धार में जल चढ़ाना गलत?
सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. इसे भगवान शिव का महीना कहा जाता है. भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूरे महीने जलाभिषेक होता है. जलाभिषेक को लेकर अधिकांश लोगों में भ्रम रहता है.
पौरााणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अमृत मंथन के समय निकले विष का पान करने से भगवान शिव पर उसका असर होने लगा था, तब उसे कम करने के लिए सभी देवी और देवताओं ने उनका जलाभिषेक करना शुरू कर दिया था.
मान्यता
इसके बाद से ही भगवान भोले नाथ को जलाभिषेक किया जाने लगा. मान्यता है कि जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.
ये है गलत तरीका
हालांकि, कई बार लोग लोटे में जल भरकर सीधे शिवलिंग पर चढ़ा देते हैं. वहीं, कई बार जल की तेज धारा शिवलिंग पर अर्पित कर देते हैं. यह तरीका गलत है.
जलाभिषेक का सही तरीका
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, शिव पूजा या जलाभिषेक से पूर्व व्यक्ति को स्वयं स्वच्छ और पवित्र करना चाहिए. इसके लिए आप स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
आचमन करें
इसके बाद जल से आचमन करके स्वयं की शुद्धि करें लें. फिर शिवलिंग या शिव जी का जलाभिषेक करना चाहिए.
जलाभिषेक का मतलब
जलाभिषेक का अर्थ है, जल या पानी से शिव जी का अभिषेक. अभिषेक का मतलब स्नान कराने से है.
साफ जल का इस्तेमाल
जलाभिषेक के लिए आप साफ जल, गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों के जल का उपयोग कर सकते हैं.
दूध भी चढ़ाएं
इसके अलावा आप चाहें तो गाय के कच्चे दूध, गन्ने के रस, तेल आदि से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं.
कैसे करें जलाभिषेक?
शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए एक साफ बर्तन ले लें. उसे पवित्र जल से भर लें. उसमें गंगाजल मिला सकते हैं. फिर शिवलिंग के पास जाएं और पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर मुख करके खड़े हो जाएं.
धीमी गति से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
इसके बाद दोनों हाथों से उस बर्तन को पकड़ें और थोड़ा झुककर जल की पतली धारा धीमी गति से शिवलिंग पर गिराएं. इस बात का ध्यान रखें कि जल की धारा तीव्र गति वाली न हो.
डिस्क्लेमर
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