UP Top 10 Poor District: बांदा से बहराइच तक, ये हैं यूपी के 10 सबसे गरीब जिले

UP Top 10 Poor District: उत्तर प्रदेश में अभी 75 जिले हैं. जिलों और आबादी के लिहाज से प्रदेश भारत में पहले नंबर पर है. लेकिन क्या आपको मालूम हैं, प्रदेश के वो 10 ऐसे कौन से जिले हैं, जहां की आधी से ज्यादा आबादी गरीब है.

शैलजाकांत मिश्रा Thu, 19 Sep 2024-5:36 pm,
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बहराइच

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश का सबसे गरीब जिला बहराइच है. यहां की 55 फीसदी आबादी आज भी गरीब है. 2016 में यह आंकड़ा 72 फीसदी था, यानी हाल के वर्षों में जिले की स्थिति सुधरी है. 

 

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श्रावस्ती

गरीब जिलों में दूसरा नंबर श्रावस्ती का है. राप्ती नदी के पास स्थित श्रावस्ती बौद्ध और जैन तीर्थयात्रियों के लिए मुख्य स्थल है. 2021 के आंकड़े के मुताबिक यह दूसरा सबसे गरीब जिला है.

 

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बलरामपुर

बलरामपुर जिला गरीबी की कैटेगरी में तीसरे नंबर पर है. 2015-16 में यहां की 70 फीसदी आबादी गरीब थी. हालांकि इसमें सुधार हुआ है. 2021 के आंकड़े के मुताबिक जिले की 42 फीसदी आबादी गरीब रह गई है.

 

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बदायूं

बलरामपुर जिला गरीबी की कैटेगरी में चौथे नंबर पर है. 2015-16 में यहां की 57 फीसदी आबादी गरीब थी. बीते कुछ सालों में इसमें सुधार आया है. 2021 के आंकड़े के मुताबिक जिले की 40 फीसदी आबादी गरीब रह गई है.

 

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सीतापुर

रिपोर्ट के अनुसार गरीब जिलों की लिस्ट में सीतापुर चौथे पायदान पर है. यहां की 57 फीसदी आबादी गरीब थी. 2021 के आंकड़े के मुताबिक जिले की 40 फीसदी आबादी गरीब रह गई है.

 

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सिद्धार्थनगर

सिद्धार्थनगर जिले का भी इस लिस्ट में नाम है. यहां 2021 में 37 फीसदी आबादी गरीब है जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 57 प्रतिशत था. 

 

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संभल

संभल जिला गरीबी की कैटेगरी में सातवें नंबर पर है. यहां की 35 फीसदी आबादी गरीब है. हालांकि इसमें सुधार हुआ है.

 

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खीरी

2021 के आंकड़ों के मुताबिक खीरी जिले में गरीबों की आबादी 35 फीसदी है, 2015-16 में यह आंकड़ा 60 फीसदी था. 

 

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हरदोई

हरदोई का नाम भी गरीब जिलों की सूची में शुमार है. 2015-16 में गरीबी का आंकड़ा 51 फीसदी था. जो 2021 में घटकर 34 फीसदी पर आ गया है. फिर भी जिला पिछड़े जिलों में शामिल है. 

 

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बांदा

बांदा भी यूपी के टॉप-10 गरीब जिलों में शामिल है. 2015-16 में यहां की 40 फीसदी आबादी गरीब थी. 2021 के आंकड़े के मुताबिक जिले की 34 फीसदी आबादी गरीब रह गई है.

 

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इन मानकों पर नहीं उतरे खरे

ये आंकड़े नीति आयोग की रिपोर्ट पर आधारित हैं.  इस रिपोर्ट को जिलों की तीन मानकों पर परख के आधार पर तैयार किया गया है. जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर शामिल है.

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