मनोज पांडे से लेकर चंद्र सिंह गढ़वाली तक, यूपी-उत्तराखंड के वो वीर शहीद, जिन्होंने देश के लिए दी बड़ी कुर्बानी

भारत की स्वतंत्रता एक लंबी और कठिन यात्रा थी, जो देश की आजादी के लिए लड़ने वाले अनगिनत बहादुर पुरुषों और महिलाओं के बलिदानों से चिह्नित है. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हमारे देश के बहुत से वीर जवानों ने खून बहाया है. कितने के नाम तो इतिहास के पन्नों में खो गए है.

राहुल मिश्रा Tue, 13 Aug 2024-6:19 pm,
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कैप्‍टन मनोज पांडे, सीतापुर

जुलाई 1999 को कारगिल की जंग में कैप्‍टन मनोज पांडे शहीद हो गए थे और उस समय उनकी उम्र 25 साल थी. पांडेय का जन्म 25 जून 1975 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले हुआ था. मनोज की शिक्षा सैनिक स्कूल लखनऊ में हुई थी. 

 

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मेजर राजेश सिंह अधिकारी

 मेजर राजेश सिंह अधिकारी का जन्म 25 दिसंबर 1970 अल्मोड़ा में हुआ था. वह केएस अधिकारी और मालती अधिकारी के पुत्र थे. उनकी नाम 30 मई, 1999 को सामने आया, जब उनकी बटालियन को दुर्जेय टोलोलॉन्ग सुविधा के आगे के हिस्से पर कब्जा करके पैर जमाने का काम दिया गया था. दुश्मन ने बर्फ से ढके एक चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाके में लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई पर खुद को जमा लिया था. वह एक भारतीय सेना अधिकारी थे, जिनकी कारगिल युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई थी. उन्हें युद्ध के मैदान में बहादुरी के लिएमरणोपरांत दूसरे सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 

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योगेन्द्र सिंह यादव

ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (परमवीर चक्र) (18 ग्रेनेडियर्स) भारत के सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र के सबसे कम उम्र के प्राप्तकर्ता का जन्म 10 मई 1980 को सिकंदराबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता राम करण सिंह यादव ने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में भाग लेकर कुमाऊं रेजिमेंट में सेवा की थी.

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कैप्टन विक्रम बत्रा

कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र, मरणोपरांत) (13 जेएके राइफल्स) वैसे तो हिमाचल पालमपुर के रहने वाले थे पर कई कोर्स पूरे करने के बाद बत्रा की बटालियन को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जाने का आदेश दिया गया. 5 जून को आदेश बदल दिए गए और बटालियन को द्रास, जम्मू-कश्मीर में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया. 

 

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चंद्र सिंह गढ़वाली

वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर 1891 में हुआ था. वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली को भारतीय इतिहास में पेशावर कांड के नायक के रूप में याद किया जाता है. 3 सितम्बर 1914 को चन्द्र सिंह सेना में भर्ती होने के लिये लैंसडौन पहुंचे और सेना में भर्ती हो गये. 1 अक्टूबर 1979 को चन्द्रसिंह गढ़वाली का लम्बी बिमारी के बाद देहान्त हो गया. 1994 में भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया तथा कई सड़कों के नाम भी इनके नाम पर रखे गये. 

 

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हर्षदेव ओली

हर्षदेव ओली कुमाऊं में इतने लोकप्रिय थे कि यहां की जनता लोग उनके एक इशारे पर अपनी जान कुरबान करने को तैयार रहते थी. हर्षदेव ओली जन्म देवभूमि उत्तराखण्ड के ग्राम गौशनी, खेतिखान, चम्पावत में 4 मार्च सन 1890 को हुआ था. 

 

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मंगल पाण्डेय, बलिया

मंगल पांडेय ने 1857 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मंगल पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 19 जुलाई 1827 में हुआ था. उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था. मंगल पांडेय का महज 22 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना चयन हो गया. वह बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल हुए थे. 

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