देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थपुरोहितों का धरना जारी, अब समाधि लेने की कर रहे तैयारी
त्रिवेंद्र सरकार ने बद्री-केदार मंदिर समिति को भंग कर देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है. बोर्ड ने केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य शुरू भी कर दिए हैं, जिनका तीर्थ पुरोहित विरोध कर रहे हैं.
रुद्रप्रयाग: चारधाम देवस्थान बोर्ड को लेकर हाईकोर्ट से स्थिति साफ होने के बाद भी उत्तराखंड में एक्ट का विरोध नहीं थम रहा है. राज्य सरकार द्वारा गठित देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर 9 दिनों से क्रमिक धरना दे रहे तीर्थ पुरोहितों ने अब केदारनाथ के पीछे समाधि लेने की चेतावनी दी है.
दो माह से केदार धाम में अर्धनग्न होकर धरना दे रहे तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि अब समाधि लेने का वक्त आ गया है. देवस्थानम बोर्ड को लेकर पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे, मगर फैसला तीर्थ पुरोहितों के पक्ष में नहीं है. ऐसे में अब केदारनाथ मंदिर के पीछे समाधि लेंगे.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार तीर्थ पुरोहितों की कोई सुध नहीं ले रही है. राज्य सरकार जल्द से जल्द देवस्थानम बोर्ड को भंग करे, साथ ही केदारनाथ मास्टर प्लान को वापस ले. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केदारपुरी के भवनों और धर्मशालाओं से छेड़छाड़ कर रही है.
बता दें कि त्रिवेंद्र सरकार ने बद्री-केदार मंदिर समिति को भंग कर देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है. देवस्थानम बोर्ड ने केदारनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य शुरू कर दिए हैं, ऐसे में धर्मशालाओं में रहे तीर्थ पुरोहित इसका विरोध कर रहे हैं. तीर्थ पुरोहित हर रोज सुबह-शाम मंदिर परिसर में धरना दे रहे हैं.
क्या है चारधाम देवस्थानम बोर्ड?
सरकार ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए चारधाम समेत कुल 51 मंदिरों के रखरखाव, बुनियादी सुविधाओं और ढांचागत सुविधाओं के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है. मुख्यमंत्री को इसका अध्यक्ष, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को उपाध्यक्ष और गढ़वाल मंडल के मंडालायुक्त को CEO की जिम्मेदारी दी गई.
मुख्यसचिव, पर्यटन सचिव, वित्त सचिव को बोर्ड का पदेन सदस्य नियुक्त किया गया. इसके अलावा भारत सरकार के संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को भी पदेन सदस्य बनाया गया है. टिहरी रियायत के सदस्य को भी बोर्ड में नामित किया गया. सनातन धर्म का पालन करने वाले 3 सांसद और 6 विधायक भी बोर्ड में नामित होते हैं. इस बोर्ड का वास्तविक मकसद यात्रा की व्यवस्था को बेहतर किया जाना है.
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