पितृ पक्ष 2020: जीवन का आनंद खत्म कर देता है पितृ दोष, इस पूजा के बाद मिल जाएगी मुक्ति
ज्योतिषाचार्य पं. दयानन्द शास्त्री जी के मुताबिक पितरों से आशीर्वाद पाने के लिए यह समय उत्तम माना जाता है. इसके साथ ही यह समय पितृ दोष से मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
अनंत चतुर्दशी के बाद पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है. 2 सितंबर से 16 सितंबर तक पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को प्रसन्न करने के हिंदू शास्त्रों में काफी महत्वपूर्ण माने गए हैं. ज्योतिषाचार्य पं. दयानन्द शास्त्री जी के मुताबिक पितरों से आशीर्वाद पाने के लिए यह समय उत्तम माना जाता है. इसके साथ ही यह समय पितृ दोष से मुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
क्या है पितृ दोष?
परिवार के किसी पूर्वज की मृत्यु के बाद जब उसका अंतिम संस्कार भलीभांति नही किया जाता है अथवा जीवित अवस्था में उसकी कोई इच्छा अधूरी रह जाती है तो उसकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के बीच भटकती रहती है. मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही परिवार के लोगों को कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है. इससे यह कष्ट व्यक्ति की जन्म कुंडली में भी झलकता है. यह कष्ट शारीरिक से ज्यादा मानसिक होता है. इन मानसिक कष्टों में विवाह में अड़चन, वैवाहिक जीवन में कलह, परिश्रम के बावजूद परीक्षा में असफलता, नौकरी का लगना और छूट जाना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मौत, मंद बुद्धि के बच्चे का जन्म होना, अत्याधिक क्रोध आदि हो सकते हैं. पितृ दोष जीवन के आनंद को खत्म कर देता है. ऐसे में इसके लिए कुछ उपाय किए जाते हैं.
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यदि आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं तो आपको पितृ पक्ष में कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए तो चलिए जानते हैं पितृ पक्ष में पितृ दोष से मुक्ति के उपाय-
पितृ दोष के उपाय
पितृ पक्ष में रोज पित्तरों के निमित जल, जौं और काले तिल और पुष्प के साथ पित्तरों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है.
श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों की मृत्यु तिथि पर किसी ब्राह्मण को अपने पूर्वजों की पसंद का भोजन अवश्य कराएं. ऐसा करने से भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
पितृ पक्ष में अपने पितरों के नाम से श्रीमद भागवत कथा, भागवत गीता, गरूड़ पुराण, नारायण बली, त्रिपिंडी श्राद्ध, महामृत्युंजय मंत्र का जाप ओर पितर दोष की शांति कराने से भी पित्तरों को शांति प्राप्त होती है.
श्राद्ध पक्ष में गया जी जाकर अपने पितरों का श्राद्ध अवश्य करें. ऐसा करने से भी आपके पितृ शांत होते हैं और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
यदि आपको अपने पितरों की मृत्यु तिथि नहीं पता है तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर उनका श्राद्ध कर सकते हैं. ऐसा करने से भी आपको पितृ दोष से मु्क्ति मिलती है.
आपको सर्व पितृ अमावस्या और हर अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए और योग्य ब्राह्मण से अपने पितरों का श्राद्ध कराना चाहिए और 13 ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए.
पितृ पक्ष में आपको कौवों को भोजन अवश्य कराना चाहिए. क्योंकि माना जाता है कि इस समय में हमारे पितृ कौवों का रूप धारण करके धरती पर उपस्थित रहते हैं.
आपको पितृ पक्ष में गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए. आपको गाय को भोजन कराना चाहिए और किसी गौशाला में भी दान अवश्य देना चाहिए.
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