बिल्डरों पर करम और किसानों पर सितम, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम नोएडा को किस आदेश पर लगाई फटकार
Noida News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर जिलाधिकारी के एक आदेश को मनमाना बताते हुए खारिज कर दिया है. कोर्ट ने जमीन खरीदने बेचने के मामले में किसानों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है.
Allahabad High Court: मोहम्मद गुफरान प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर डीएम को हिंडन और यमुना बाढ़ क्षेत्र में जमीन खरीदने बेचने के मामले में फटकार लगाई है. हिंडन और यमुना के बाढ़ क्षेत्र में कृषि भूमि बेचने के लिए डीएम से एनओसी लेने के आदेश के मामले में न्यायालय ने एक आदेश दिया.
इसमें कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को जमीन की ख़रीद फरोख्त का कानूनी अधिकार है. डीएम को ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं है कि वो
किसी नागरिक को ऐसा करने से रोके. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम गौतमबुद्धनगर के आदेश को रद्द किया. हाईकोर्ट ने डीएम के आदेश को मनमाना बताते हुए खारिज कर दिया.
अदालत ने कहा, सिर्फ वैध कारणों से ही इस पर रोक लगाई जा सकती है. हाईकोर्ट ने कहा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट डीएम को ऐसी शक्ति नहीं देता है कि बाढ़ क्षेत्र में बिल्डर को छूट दें और किसान को भूमि बेचने के लिए एनओसी लेने को कहें. हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर कहा है कि डीएम को कृषि भूमि बेचने पर रोक या फिर शर्त लगाने का अधिकार नहीं है.
विकास प्राधिकरण ने हिंडन और यमुना के बाढ़ क्षेत्र में कृषि भूमि बेचने के लिए किसानों को एनओसी लेने का फ़ैसला लिया था. याचियों ने बिना एनओसी के जमीनों को बेचा जिस पर उनके खिलाफ कार्रवाई हुई. किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर डीएम के फैसले को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में किसानों ने कहा हम जमीन के स्वामी और कब्जेदार हैं. जरूरत के लिए अपनी जमीन को बेचने का अधिकार हमारे पास है.
हाईकोर्ट ने कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए 30 सितंबर 2020 के आदेश व 8 जुलाई 2024 के शासनादेश को रद्द कर दिया, हाईकोर्ट ने डीएम गौतमबुद्धनगर के फैसले को लेकर टिप्प्णी भी की. कोर्ट ने कहा, यह आदेश बाढ़ क्षेत्र में अवैध कालोनियां पनपने का जिम्मेदार है और वही किसानों को भूमि बेचने के लिए शर्त लगा रहा है.हाईकोर्ट ने कहा यह पूरी तरह से सिस्टम का मजाक उड़ाने वाला फ़ैसला है. यह फ़ैसला उसी तरह से है जैसे लोमड़ी को मुर्गी की रक्षा करने के लिए कहा जाए. किसान सुरेश चंद और 11 अन्य की याचिकाओं पर जस्टिस एमसी त्रिपाठी ओर जस्टिस प्रशांत कुमार की डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया है.