Prayagraj News : प्रयागराज के बाहुबली नेता व पूर्व विधायक उदयभान करवरिया गुरुवार को जेल से रिहा हो गए हैं. उदयभान करवरिया की आजीवन कारावास की सजा पिछले दिनों राज्‍यपाल ने माफ कर दी थी. जवाहर पंडित हत्‍याकांड में एमपी एमएलए कोर्ट ने उदयभान करवरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अच्‍छे आचरण के चलते राज्य सरकार ने राजयपाल से सजा माफी की संस्तुति की थी. 


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जवाहर पंड‍ित हत्‍याकांड 
बता दें कि 13 अगस्त, 1996 को सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित की दिन दहाड़े सिविल लाइन की गलियों में गोलियों से भूनकर हत्‍याकर दी गई थी. पहली बार इलाहाबाद में एके-47 से किसी की हत्‍या की गई है. इस मामले में जवाहर यादव के हिस्‍ट्रीशीटर भाई सुलाकी यादव ने कप‍िल मुनि करवरिया, उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया, श्‍याम नारायण करवरिया और रामचंद्र त्रिपाठी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई थी. 


बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष कलराज मिश्रा ने दी थी गवाही 
उदयभान के चाचा श्‍याम नारायण करवरिया उर्फ मौला महाराज की 1996 में मौत हो गई थी. वहीं, तीनों भाइयों उदयभान, कपिल मुनि और सूरजभान करवरिया का दावा था कि वह हत्‍याकांड के दिन इलाहाबाद में थे ही नहीं. उदयभान का दावा था कि वह हत्‍याकांड वाले दिन भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष कलराज मिश्रा के साथ थे. हत्‍याकांड में कलराज मिश्रा का भी बयान दर्ज किया गया था. कलराज मिश्रा ने करवरिया बंधु के पक्ष में बयान दिया था.    


उदयभान करवरिया की सियासी पारी  
साल 1997 में उदयभान करवरिया कौशांबी जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद उनका सियासी कद बढ़ता गया. साल 2002 के विधानसभा चुनाव में उदयभान ने इलाहाबाद की बारा सीट से बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े और पहली बार‍ विधायक बने. इसके बाद साल 2007 में भी वह बारा से दोबारा विधायक चुने गए. हालांकि, इसके बाद बारा छोड़कर जब वह इलाहाबाद उत्‍तरी से चुनाव लड़े तो उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. 


राज्‍यपाल के आदेश में क्‍या? 
राज्‍यपाल ने उदयभान करवरिया के आजीवन कारावास की सजा को माफ कर दिया है. राज्यपाल की मंजूरी के बाद कारागार विभाग ने उदयभान की रिहाई का आदेश दे दिया था. आदेश में कहा गया है कि 30 जुलाई 2023 तक उदयभान करवरिया ने 8 वर्ष 3 माह 22 दिन की अपरिहार सजा और आठ वर्ष नौ माह 11 दिन की सपरिहार सजा काट ली है. एसएसपी और डीएम प्रयागराज द्वारा समयपूर्व रिहाई की संस्तुति किए जाने, जेल में करवरिया का आचरण उत्तम होने और दयायाचिका समिति द्वारा की गई संस्तुति के चलते समयपूर्व रिहाई का आदेश दिया गया. 


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