Budhwar ke Upay: कुंडली में कमजोर बुध ग्रह जीवन में ला सकता है संकट, दोष दूर करने के लिए करें यह काम
Budhwar ke Upay: अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है, तो उसे मजबूत बनाने के लिए बुध की अष्टोत्तर शतनामावली का जाप करें. इससे जातक को लाभ मिलेगा.
Budhwar ke Upay: आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की पञ्चमी तिथि है. आज दिन बुधवार है. हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) और बुध देव को समर्पित होता है. इस दिन पार्वती पुत्र गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति कमजोर होती है, उनके लिए भी यह दिन बेहद महत्वपूर्ण है. बुध ग्रह को बुद्धि का प्रदाता कहा जाता है. कुंडली में बुध की अच्छी स्थिति होती है, तो जातक समझदार, तर्क करने में कुशल, अच्छा विश्लेषक होता है. इसका सीधा संबंध इंसान की तर्क शक्ति से होता है. वहीं, कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है तो जीवन पर बेहद अशुभ पड़ता है.अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है, तो उसे मजबूत बनाने के लिए बुध की अष्टोत्तर शतनामावली का जाप करें.
बुध की अष्टोत्तर शतनामावली
ॐ बुधाय नमः ।
ॐ बुधार्चिताय नमः ।
ॐ सौम्याय नमः।
ॐ सौम्यचित्ताय नमः।
ॐ शुभप्रदाय नमः ।
ॐ दृढव्रताय नमः ।
ॐ दृढफलाय नमः ।
ॐ श्रुतिजालप्रबोधकाय नमः ।
ॐ सत्यवासाय नमः ।
ॐ सत्यवचसे नमः ॥ १० ॥
ॐ श्रेयसांपतये नमः ।
ॐ अव्ययाय नमः ।
ॐ सोमजाय नमः ।
ॐ सुखदाय नमः ।
ॐ श्रीमते नमः ।
ॐ सोमवंशप्रदीपकाय नमः ।
ॐ वेदविदे नमः ।
ॐ वेदतत्वज्ञाय नमः ।
ॐ वेदांतज्ञानभास्कराय नमः ।
ॐ विद्याविचक्षणाय नमः ॥ २० ॥
ॐ विदूषे नमः ।
ॐ विद्वत्प्रीतिकराय नमः ।
ॐ ऋजवे नमः ।
ॐ विश्वानुकूलसंचारिणे नमः ।
ॐ विशेषविनयान्विताय नमः ।
ॐ विविधागमसारज्ञाय नमः ।
ॐ वीर्यावते नमः ।
ॐ विगतज्वराय नमः ।
ॐ त्रिवर्गफलदाय नमः ।
ॐ अनंताय नमः ॥ ३० ॥
ॐ त्रिदशाधिपपूजिताय नमः ।
ॐ बुद्धिमते नमः ।
ॐ बहुशास्त्रज्ञाय नमः ।
ॐ बलिने नमः ।
ॐ बंधविमोचकाय नमः ।
ॐ वक्रातिवक्रगमनाय नमः ।
ॐ वासवाय नमः ।
ॐ वसुधाधिपाय नमः ।
ॐ प्रसन्नवदनाय नमः ।
ॐ वंद्याय नमः ॥ ४० ॥
ॐ वरेण्याय नमः ।
ॐ वाग्विलक्षणाय नमः ।
ॐ सत्यवते नमः ।
ॐ सत्यसंकल्पाय नमः ।
ॐ सत्यसंधाय नमः ।
ॐ सदादराय नमः ।
ॐ सर्वरोगप्रशमनाय नमः ।
ॐ सर्वमृत्युनिवारकाय नमः ।
ॐ वाणिज्यनिपुणाय नमः ।
ॐ वश्याय नमः ॥ ५० ॥
ॐ वातांगिने नमः ।
ॐ वातरोगहृते नमः ।
ॐ स्थूलाय नमः ।
ॐ स्थैर्यगुणाध्यक्षाय नमः ।
ॐ स्थूलसूक्ष्मादिकारणाय नमः ।
ॐ अप्रकाशाय नमः ।
ॐ प्रकाशात्मने नमः ।
ॐ घनाय नमः ।
ॐ गगनभूषणाय नमः ।
ॐ विधिस्तुत्याय नमः ॥ ६० ॥
ॐ विशालाक्षाय नमः ।
ॐ विद्वज्जनमनोहराय नमः ।
ॐ चारुशीलाय नमः ।
ॐ स्वप्रकाशाय नमः ।
ॐ चपलाय नमः ।
ॐ चलितेंद्रियाय नमः ।
ॐ उदन्मुखाय नमः ।
ॐ मुखासक्ताय नमः ।
ॐ मगधाधिपतये नमः ।
ॐ हरये नमः ॥ ७० ॥
ॐ सौम्यवत्सरसञ्जाताय नमः।
ॐ सोमप्रियकराय नमः ।
ॐ महते नमः ।
ॐ सिंहादिरूढाय नमः ।
ॐ सर्वज्ञाय नमः ।
ॐ शिखिवर्णाय नमः ।
ॐ शिवंकराय नमः ।
ॐ पीतांबराय नमः ।
ॐ पीतवपुषे नमः ।
ॐ पीतच्छत्रध्वजांकिताय नमः ॥ ८० ॥
ॐ खड्गचर्मधराय नमः ।
ॐ कार्यकर्त्रे नमः ।
ॐ कलुषहारकाय नमः ।
ॐ आत्रेयगोत्रजाय नमः ।
ॐ अत्यंतविनयाय नमः ।
ॐ विश्वपावनाय नमः ।
ॐ चांपेयपुष्पसंकाशाय नमः ।
ॐ चरणाय नमः ।
ॐ चारुभूषणाय नमः ।
ॐ वीतरागाय नमः ॥ ९० ॥
ॐ वीतभयाय नमः ।
ॐ विशुद्धकनकप्रभाय नमः ।
ॐ बंधुप्रियाय नमः ।
ॐ बंधमुक्ताय नमः ।
ॐ बाणमंडलसंश्रिताय नमः ।
ॐ अर्केशानप्रदेशस्थाय नमः ।
ॐ तर्कशास्त्रविशारदाय नमः ।
ॐ प्रशांताय नमः ।
ॐ प्रीतिसंयुक्ताय नमः ।
ॐ प्रियकृते नमः ॥ १०० ॥
ॐ प्रियभाषणाय नमः ।
ॐ मेधाविने नमः ।
ॐ माधवासक्ताय नमः ।
ॐ मिथुनाधिपतये नमः ।
ॐ सुधिये नमः ।
ॐ कन्याराशिप्रियाय नमः ।
ॐ कामप्रदाय नमः ।
ॐ घनफलाशाय नमः ॥ १०८ ॥
॥ इति बुधाष्टोत्तर शतनामावळिः संपूर्णम् ॥
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