Diwali Special Story: सनातन धर्म में दिवाली या दीपावली के त्योहार को खास महत्व दिया जाता है. माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी हर घर भ्रमण करने आती हैं. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है. साथ ही कई अन्य देवी देवताओं की भी पूजा होती हैं, लेकिन भगवान विष्णु की पूजा नहीं होती. कहा जाता है कि अगर दिवाली को भगवान विष्णु की पूजा की भी जाए तो उसका कोई फल नहीं मिलता. आखिर ऐसा क्यों है इस कहानी में पढ़िए. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

विष्णु पुराण की मानें तो देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है. पुराणों में बताया गया है कि दिवाली चातुर्मास में पड़ता है. इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं. यानी भगवान विष्णु चातुर्मास में सोये रहते हैं, इसलिए दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती.


कब जगते हैं भगवान विष्णु?
विष्णु पुराण की मानें तो भगवान विष्णु दिवाली के 11 दिन बाद सो कर जगते हैं. जिस दिन भगवान विष्णु जगते हैं, उस दिन को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. जिसकी वजह से माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के बिना ही दिवाली के दिन पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने आती हैं. वहीं, जब भगवान योगनिद्रा से जगते हैं, तब देवता उनकी पूजा माता लक्ष्मी के साथ करते हैं. उस दिन को देव दीपावली कहा जाता है.


क्यों दुखी हुईं माता लक्ष्मी?
वैसे तो दिवाली को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. उन्हीं कथाओं में इस दिन भगवान गणेश की पूजा मां लक्ष्मी के साथ करने की कथा भी शामिल है. महापुराणों में जिक्र है कि मां लक्ष्मी को एक बार खुद पर अहंकार हो गया. इस बात का पता जब भगवान विष्णु को चला तो उन्होंने मां लक्ष्मी से कहा कि पूरा संसार भले ही आपको पाने की इच्छा रखता हो. विधि विधान से आपकी पूजा-पाठ भी करता हो, लेकिन आप अब तक पूर्ण नहीं हुईं हैं. भगवान विष्णु की ये बात सुनते ही मां लक्ष्मी ने इसकी वजह पूछी तो भगवान विष्णु ने कहा कि देवी जब तक कोई स्त्री मां नहीं बन जाती, तब तक वह अपूर्ण ही कहलाती है. अभी तक आप किसी की माता नहीं बनी हैं, इसलिए आप पूर्ण नहीं हैं. उनकी बातें सुनकर माता लक्ष्मी दुखी हो गई.


क्यों होती है गणेश की पूजा?
पौराणिक कथा के मुताबिक, जब मां लक्ष्मी दुखी हो गईं तो ये देख मां पार्वती उनके पास आईं और भगवान गणेश को उनकी गोद में बैठा दिया. इसके बाद माता पार्वती बोली, आज से गणेश आपका भी पुत्र कहलाएगा. इसके बाद से गणेश जी मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र कहलाने लगे. फिर गणेश जी को मां लक्ष्मी ने वरदान दिया और उन्होंने कहा कि आज के बाद से गणेश जी के बिना जो भी मेरी पूजा करेगा, मैं उसके पास नहीं जाऊंगी. मान्यता है कि मां लक्ष्मी के इस वरदान की वजह से दिवाली के दिन उनके साथ गणेश जी की पूजा होती है.


डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.


यह भी पढ़ें: Diwali Lakshmi Puja: लक्ष्मी जी को किसने श्राप दिया? मालिन के घर रहीं, दिवाली से जुड़ी है मान्यता