Diwali 2024 Maa Lakshmi ki Kahani: वैसे तो दिवाली की कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं. जो शायद ही आपने सुनी या पढ़ी होंगी. पढ़ें कैसे एक अभिशाप की वजह से मां लक्ष्मी को माली के घर रहना पड़ा था?
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Diwali 2024 Maa Lakshmi ki Kahani: दिवाली का त्योहार नजदीक है. ये त्योहार मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को समर्पित है. सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना गया है. मान्यता है कि जिस घर में मां लक्ष्मी का निवास हो, वहां हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है और अगर मां लक्ष्मी नाराज हो जाएं तो वहां से खुशहाली हमेशा के लिए दूर हो जाती है. यही वजह है कि धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. मां लक्ष्मी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. उनसे जुड़ी एक ऐसी भी पौराणिक कथा है, जिसमें जिक्र किया गया है कि एक अभिशाप की वजह से माता को कई सालों तक एक गरीब माली के घर में रहकर काम करना पड़ा था. पढ़िए पूरी कहानी
मां लक्ष्मी से जुड़ी कहानी
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, प्राचीन समय में एक दिन भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या बैठे हुए थे. उनका मन कहीं भी नहीं लग रहा था. उस समय भगवान विष्णु ने निश्चय किया कि क्यों न पृथ्वीलोक घूम आया जाए. फिर जैसे ही भगवान विष्णु तैयार हुए तो उन्हें देख माता लक्ष्मी को भी ये जानने की इच्छा हुई कि आखिर वो इस समय कहां जा रहे हैं?
उस वक्त भगवान विष्णु को पृथ्वीलोक जाता देख माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जाहिर की. फिर भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी का आग्रह स्वीकार करने के लिए एक शर्त रख दी और उनसे कहा कि अगर वो पृथ्वी लोक पर घूमने जाना चाहती हैं तो किसी भी हाल में उन्हें उत्तर दिशा की ओर नहीं देखना होगा. फिर माता ने उनकी शर्त मान ली और दोनों खुशी-खुशी पृथ्वी लोक की ओर जाने लगे.
माता लक्ष्मी ने कर दी गलती
जैसे ही भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक पहुंची. धरती पर सुबह का समय था और बारिश की वजह से मौसम बहुत सुहाना था. धरती पर खूबसूरत नजारा देख माता लक्ष्मी इतनी मंत्रमुग्ध हो गईं कि भगवान विष्णु की शर्त वो भूल गईं, जिसमें उन्होंने उत्तर दिशा की ओर देखने से मना किया था. शर्त को भूल माता लक्ष्मी सभी दिशाओं के साथ उत्तर दिशा की तरफ भी जाने लगीं. उस दिशा में बहुत सुंदर बगीचा था, जिसमें खूबसूरत फूल खिले थे. उस बगीचे से फूल तोड़कर माता भगवान विष्णु को देने गईं.
शर्त भूलने पर मिला अभिशाप
माता लक्ष्मी के इस कृत्य को देखकर भगवान विष्णु दुखी हो गए और उन्होंने अपनी शर्त माता को याद दिलाई. इसके साथ ही यह भी कहा कि किसी का सामान उसकी अनुमति के बिना लेना अपराध के समान है. जब माता लक्ष्मी को शर्त याद आई तो वो क्षमा मांगने लगीं और इस गलती का कोई दंड नहीं देने की प्रार्थना करने लगीं. फिर भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि उनकी गलती अक्षम्य है और इसका दंड उन्हें जरूर भोगना पड़ेगा. फिर उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा था कि उन्होंने माली से पूछे बिना उसके बगीचे से फूल तोड़ा है. ये एक तरह की चोरी है, इसलिए उन्हें दंड के तौर पर माली के घर में कुछ सालों तक रहना पड़ेगा. ये कहकर भगवान विष्णु पृथ्वी लोक से वापस चले गए.
माली के घर पहुंचीं माता लक्ष्मी
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक से लौटने के बाद माता लक्ष्मी ने एक गरीब कन्या का रूप धारण किया और माली के घर पहुंचीं. उस समय माली अपने परिवार के साथ एक झोपड़ी में रहता था. जिसके बाहर माता लक्ष्मी बैठ गईं. जब माली अपनी झोपड़ी से बाहर निकला तब उसकी नजर माता लक्ष्मी पर पड़ी. फिर माली ने उनसे पूछताछ की तो उन्होंने खुद को असहाय बताते हुए माली के घर में काम करने का आग्रह किया. गरीब कन्या की बात सुनकर माली को दया आ गई और उसने अपने घर में उन्हें शरण दे दी.
बदल गई माली की किस्मत
माता लक्ष्मी को माली ने अपनी बेटी के रूप में स्वीकार कर लिया और घर के अंदर ले जाकर अपनी पत्नी से बोला कि ये कन्या उनकी बेटी बनकर घर में रहेगी. ये बात सुनकर उसकी पत्नी खुश हो गई. जिसके बाद अगले दिन से ही माली को अपने काम में बहुत ज्यादा फायदा होने लगा. फिर माली को एहसास हुआ कि जबसे उसके घर में इस गरीब कन्या का आगमन हुआ है तब से उनकी किस्मत बदल गई है. माली के घर में रहते माता लक्ष्मी पूरे तीन साल रह गईं.
माता लक्ष्मी से मांगने लगा माफी
तीन साल रहने के बाद माता लक्ष्मी अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट हो गईं. जैसे ही माली ने माता को देखा वो उनसे माफी मांगने लगा. माफी मांगते हुए माली कहने लगा कि हमसे अनजाने में भारी भूल हुई है. हमने आपसे खेतों में काम करवाया. यही नहीं आपसे अपने घर के काम भी करवाए, माता आप हमें क्षमा करें. गरीब माली की इन बातों को सुनकर माता लक्ष्मी बोली, तुम एक साफ ह्रदय के इंसान हो. इतने दिनों तक तुमने मुझे बेटी बनाकर रखा. मैं प्रसन्न हूं और तुम्हें वरदान देती हूं कि, तुम्हारे पास कभी भी धन की कमी नहीं होगी. माली को ये वरदान देने के बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ रथ में बैठकर वापस अपने लोक चली गईं.
डिस्क्लेमर: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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