Guruwar Ke Upay: आज 15 जून दिन गुरुवार है. हिंदू धर्म में यह दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को समर्पित होता है. इस दिन श्री विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. श्रीहरि को खुश करने के लिए भक्त बृहस्पतिवार का व्रत रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी की उपासना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. श्रीहरि की पूजा के दौरान श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa) का पाठ जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आप श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पढ़ें श्री विष्णु चालीसा


||दोहा||


विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥


||चौपाई||


नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥


सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत॥


शंख चक्र कर गदा बिराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥


सन्तभक्त सज्जन मनरंजन दनुज असुर दुष्टन दल गंजन।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन॥


पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण॥


धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा॥


आप वाराह रूप बनाया, हरण्याक्ष को मार गिराया।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया॥


अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया॥


कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया॥


वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया॥


असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लडाई।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई॥


सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥


देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी॥


तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥


हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥


चहत आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥


शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण॥


करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई हर्षित रहत परम गति पाई॥


दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ॥


सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥


॥इति श्री विष्णु चालीसा ॥


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.  


Pradosh Vrat 2023: आषाढ़ का गुरु प्रदोष व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


Surya Gochar 2023: सूर्य के गोचर से कुंडली पर पड़ रहा बुरा प्रभाव, मेष से लेकर मीन तक के जातक करें ये अचूक उपाय


WATCH: 15 जून को सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश, सूर्यदेव के प्रकोप से बचने के लिए ये तीन राशि वाले जल्दी करें ये उपाय