Eid Mubarak: इस्लाम धर्म में ईद का त्योहार सबसे बड़ा माना जाता है. हर मुसलमानों के लिए यह दिन बड़ा खास होता है. यह दिन रमाजान के पवित्र महीने की बाद आता है. ईद के दिन मुसलमान ईदगाह में पहुंचकर ईद की नमाज अदा करते हैं. इसके बाद लोग एक दूसरे को गले लग कर बधाई देते हैं. ईद के दिन अच्छे-अच्छे पकवान बनते हैं. लोग एक दूससरे के घर पर जाते हैं.


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ईद के मौके पर पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को गले लगाकर इस खास त्योहार की बधाई दी जाती है. हम यहां आपके लिए कुछ खास शेर लेकर आएं हैं आप इनको अपनों को भेजकर ईद की मुबारकबाद दे सकते हैं. 


तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी 
ईद अब के भी दबे पांव गुज़र जाएगी 
ज़फ़र इक़बाल


वादों ही पे हर रोज़ मिरी जान न टालो
है ईद का दिन अब तो गले हम को लगा लो
मुसहफी गुलाम हमदानी


हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएं
जिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक 
लियाक़त अली आसिम


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जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें 
ईद के चांद का दीदार बहाना ही सही 
अमजद इस्लाम अमजद


कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती 
हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती 
ग़ुलाम भीक नैरंग


ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
कमर बदायुनी


महक उठी है फजा पैरहन की खुशबू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
मोहम्मद असदुल्लाह


जो लोग गुज़रते हैं मुसलसल रह-ए-दिल से
दिन ईद का उन को हो मुबारक तह-ए-दिल से
ओबैद आजम आजमी


ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें
इक बरस दिन की मुलाकात है ये भी न सही
शोला अलीगढ़ी


राहतों से लगे सदमे भी हैं
दिल को मजबूत बना कर रखिए
ईद का दिन है गले मिल लीजे
इख्तिलाफात हटा कर रखिए
अब्दुल सलाम बंगलौरी


है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से
जाते हो कहां जान मिरी आ के मुकाबिल
मुसहफी गुलाम हमदानी