Mangla Gauri Vrat 2023: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज, पूजा के बाद जरूर पढ़ें कथा व जानें महत्व
Mangla Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत को नियमानुसार करने से प्रत्येक व्रती के वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की बढ़ोतरी होती है. पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति होती है. उनका जीवन भी सुखपूर्वक व्यतीत होता है. ऐसी मंगला गौरी व्रत की महिमा वर्णित की जाती है.
Mangla Gauri Vrat 2023: आज सावन माह दूसरा मंगलवार है. यूं तो यह दिन रामभक्त हनुमान का होता है, लेकिन सावन मास के सभी मंगलवार मां पार्वती को समर्पित होते हैं. इस दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. महिलाएं यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को था. अब आज दूसरा मंगला गौरी व्रत रखा जा रहा है. मां मंगला गौरी माता पार्वती का ही रूप हैं. इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के नाम से भी जाना जाता है. इसमें मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि मंगला गौरी की पौराणिक कथा पढ़े या सुने बिना व्रत अधूरा होता है. ऐसे में आइये जानते हैं मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा-
मंगला गौरी पौराणिक व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha)
एक समय की बात है, एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था. उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी, लेकिन कोई संतान न होने के कारण वे दोनों अत्यंत दुःखी रहा करते थे. ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह अल्पायु था. उसे यह श्राप मिला था कि 16 वर्ष की उम्र में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी. संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई, जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी. परिणाम स्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिसके कारण वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी. इस वजह से धरमपाल के पुत्र ने 100 साल की लंबी आयु प्राप्त की.
सभी नवविवाहित महिलाएं इस व्रत का पालन करती हैं तथा अपने लिए एक लंबी, सुखी तथा स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. कथा को सुनने के बाद विवाहित महिला अपनी सास एवं ननद को 16 लड्डू देती है. इसके उपरांत वे यही प्रसाद ब्राह्मण को भी देते हैं. इस विधि को पूरा करने के बाद व्रती 16 बाती वाले दीपक से देवी की आरती की जाती है. व्रत के दूसरे दिन यानी बुधवार को देवी मंगला गौरी की प्रतिमा को नदी अथवा पोखर में विसर्जित किया जाता है. अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर अपने समस्त अपराधों के लिए एवं पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा जरूर मांगें. इस व्रत एवं पूजा के अनुष्ठा को 5 वर्षों तक किया जाता है.
मंगला गौरी व्रत का महत्व
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, जिनकी कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी अथवा शादी के बाद पति से अलग होने जैसे अशुभ योग हों, तो उन युवतियों और महिलाओं को मंगला गौरी व्रत जरूर रखना चाहिए. इसके साथ ही पति की लंबी आयु के लिए भी यह व्रत रखा जाता है.
मंगला गौरी व्रत 2023 की प्रमुख तिथियां:
पहला मंगलवार: 4 जुलाई 2023
दूसरा मंगलवार: 11 जुलाई 2023
तीसरा मंगलवार: 18 जुलाई 2023
चौथा मंगलवार: 25 जुलाई 2023 (अधिक)
पांचवा मंगलवार: 1 अगस्त 2023 (अधिक)
छठा मंगलवार: 8 अगस्त 2023 (अधिक)
सातवां मंगलवार: 15 अगस्त 2023 (अधिक)
आठवां मंगलवार: 22 अगस्त 2023
नवाँ मंगलवार: 29 अगस्त 2023
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