Pitra Chalisa: 29 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन अश्विन अमावस्या के दिन होगा. पितृ पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. मान्यता है कि जिस घर में पितरों की पूजा होती है, वहां हमेशा सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. शास्त्रों के मुताबिक, पितरों की पूजा के समय उनकी आरती जरूर करनी चाहिए. इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आरती में पितरों का गुणगान किया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होते हैं.  


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पितर देव की आरती
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।


आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।


आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।


देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।


भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।


जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा. 


Ketu Gochar 2023: केतु करेंगे कन्या राशि में गोचर, दिवाली से पहले ही इन 3 राशियों पर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा


JITIYA VRAT 2023: जितिया व्रत कब है? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व


Watch: जानें पुत्र या पौत्र नहीं तो क्या है श्राद्ध कर्म का नियम