Kajari Teej 2023: हिंदू धर्म में कजरी तीज हरियाली तीज और हरितालिका तीज के समान ही महत्व रखती है. इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के साथ चंद्रमा की भी पूजा करती हैं. इसे सातुड़ी तीज, कजरी तीज, कजली तीज, बूढ़ी तीज या बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार  कजरी तीज व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति और संतान की लंबी उम्र और अच्छी स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. 


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मां पार्वती और शिव की पूजा
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर सुहागनें अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करती हैं.  अगर सास न हो तो जेठानी या किसी वयोवृद्धा को भेंट दे सकते हैं.


क्या करें इस दिन
कजरी तीज के दिन मां भवानी, श्री राधा-कृष्ण और शनिदेव का विधिवत पूजा करें, उनकी दिव्य कथाओं को सुनें. इस  दौरान  "ॐ गौरीशंकराय नमः",  "ॐ नमो भगवाते वसुदेवाय" तथा "ॐ शनिदेवाय नमः"  आदि मंत्रों का जप करें. इसी तरह विशिष्ट हविद्रव्य जैसे की पीपल, कदंब तथा बरगद से हवन करें. इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है. सुहागिनें अपने पति के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना के लिए इस व्रत को करती हैं. इस दिन गेहूं, जौ, चना और चावल के सत्तू में घी मिलाकर पकवान बनाते हैं. 


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शाम को चंद्रोदय के बाद खुलता है व्रत
शाम को चंद्रोदय के बाद व्रत खोलते हैं. सत्तु का पकवान खाकर ही व्रत खोला जाता है. इस दिन काली गाय की पूजा करते हैं और आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर काली गाय को खिलाया जाता है. 


 मोक्ष की प्राप्ति 
कजरी तीज के प्रभाव से मानव के 4 पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.  मां भवानी, श्री राधा-कृष्ण और शनिदेव की कृपा से आर्थिक स्थिति सुधरती है. सुख-संपत्ति, आयुष्य और सौभाग्य मिलता है.



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