Mangla Gauri Vrat 2023: सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. मंगला गौरी व्रत (Mangla Gaur Vrat) सुहागिन महिलाएं रखती है. अपने पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं इस व्रत को करती हैं. दांपत्‍य जीवन की खुशहाली के लिए इस व्रत को किया जाता है. ऐसी मान्‍यता है इस व्रत से मां पार्वती प्रसन्‍न होकर आपको सदैव सुहागिन रहने का आशीष देती हैं. ये अधिकमास का पहला और सावन महीने का तीसरा मंगला गौरी व्रत है, जो श्रावण शुक्ल एकम को मनाया जा रहा है.इस लेख में हम आपको बताते हैं इसकी पूजाविधि और शुभ मुहूर्त और महत्‍व.


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सावन माह में 18 जुलाई  से अधिक मास शुरू हो रहा है. ये अधिकमास का पहला और सावन महीने का तीसरा मंगला गौरी व्रत है, जो श्रावण शुक्ल एकम को मनाया जा रहा है.


मंगला व्रत का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)


ब्रह्म मुहूर्त
सुबह 4 बजकर 13 मिनट से 04 बजकर 53 मिनट तक है.


विजय मुहूर्त
सुबह 2 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक है.


गोधूलि मुहूर्त
07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक है.


अभिजीत मुहूर्त
12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक


मंगला गौरी व्रत के उपाय 
जब किसी की कुंडली में मंगल 1,4, 7, 8 और 12वें घर में हो तो ऐसी स्थिति में मंगल दोष बनता है. कुंडली में मंगल दोष होने से शादी में दिक्कतें आती है. विवाह हो भी जाए तो उनके वैवाहिक जीवन में कई तरह की परेशानियां रहती है. इसे दूर करने के लिए सावन के मंगलवार के दिन मां मंगला गौरी के साथ ही रामभक्त हनुमान की भी पूजा करें. हनुमान जी के चरणों से सिंदूर लेकर अपने माथे पर टीका लगाएं. मिठाई का भोग लगाएं और बांटें.


जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है तो इसके लिए सावन के मंगलवार के दिन मिट्टी का एक खाली बरतन जल में प्रवाहित करें.श्रावण मास के पूरे महीने या मंगलवार के दिन श्री मंगला गौरी मंत्र ‘ऊँ गौरीशंकराय नमः’ मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से आपके विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाएगी.


पूजा विधि
सावन के मंगलवार के दिन सुबह जल्‍दी उठें और स्‍नान करें. फिर उसके बाद शिवलिंग पर जल चढ़ा अपने व्रत को शुरू करें. पति और पत्‍नी दोनों मिलकर विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें. माता पार्वती को अक्षत्, कुमकुम, फूल, फल, माला और सोलह श्रृंगार की सामग्री और सुहाग का सारा सामान चढ़ाएं. धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं और पति की दीर्घायु के लिए दोनों से प्रार्थना करें.  फिर मंगला गौरी की व्रत की कथा को सुनें और पूजा का समापन करें.  मंगला गौरी व्रत का पारण अगले दिन यानी बुधवार में किया जाता है. शिव-पार्वती को खुश करने वाला यह सरल व्रत करने वालों को अखंड सुहाग देता है.


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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