Shani Jayanti 2024: शनि जयंती पर शनि देव की इस विधि से करें विशेष पूजा, खुशियों से भर जाएगा जीवन
Shani Jayanti 2024: हिंदू धर्म में शनिदेव की बहुत महत्ता है. शनि जयंती (Shani Jayanti 2024) पर विशेष पूजा अर्चना करने के बारे में भी बताया जाता है. शनिदेव की अगर पूरे मन से पूजा की जाए तो वे अति प्रसन्न होकर मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं.
Shani Jayanti 2024: सनातन धर्म में शनिदेव की विशेष पूजा के बारे में बताया जाता है. ऐसा कहते हैं कि शनिदेव जातक के कर्मों के अनुसार उसे फल देते हैं. शनि जयंती एक बहुत शुभ दिन होता है और इस दिन शनिदेव की पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से की जाती है. इस बार शनि जयंती वैशाख माह के 8 मई, 2024 दिन बुधवार पड़ रही है. मान्यता चली आ रही है कि जातक अगर शनि जयंती के दिन श्रद्धापूर्वक रवि पुत्र की आराधना करे तो इच्छा अनुसार वरदान प्राप्त कर सकता है.
शनि जयंती कब है और क्या शुभ मुहुर्त?
वैशाख अमावस्या तिथि की 7 मई 2024, सुबह के 11 बजकर 40 मिनट पर शुरू हो रही है. यह तिथि 8 मई 2024, सुबह के 8 बजकर 51 मिनट समाप्त हो रही है. इस तरह पंचांग देखें तो पता चलता है कि वैशाख अमावस्या पर यानी 8 मई को शनिदेव जयंती है.
भगवान शनि की पूजा के नियम
सबसे पहले शनिदेव की पूजा विधिपूर्वक कर लें.
पूजा के समय मन को शांत कर लें व नकारात्मक विचारों से दूर हो जाएं.
शनिदेव को नीला रंग अति प्रिय है ऐसे में उन्हें नीला वस्त्र, नीला फूल,आदि अर्पित करें.
शनि जयंती के दिन अगर क्षमता अनुसार दान-पुण्य करेंगे तो अति लाभकारी होगा.
शनिदेव की महादशा से अगर मुक्त होने है तो विशेष पूजा भी इस दिन कर सकते हैं. ताकि तुरंत लाभ मिल पाए.
शनि जयंती पूजन सामग्री (Shani pujan samagri list)
शनिदेव की प्रतिमा व तस्वीर, शनि चालीसा
शनिदेव कथा की पुस्तक, काले और नीले वस्त्र
नीले फूल और फूलों की माला
सरसों का तेल, तिल का तेल, काला तिल
हवन सामग्री, हवन कुंड, कपूर
पान, सुपारी
दक्षिणा, आसन, अक्षत, धूप, दीप, चंदन
गंध, जल, शमी पत्ता, गंगाजल, फल, मिठाई
शनि जयंती के मंत्र
शनि जयंती के अवसर पर अगर पूजा कर सकते हैं तो आप इन दो मंत्रों का जाप कर सकते हैं, हालांकि पहले आपको अपने सलाहकार या ज्योतिषी से जानकारी हासिल कर लेना चाहिए-
शनि वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।।
शनि गायत्री मंत्र- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।।