karwa chauth 2023 chand kab niklega: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत निर्जला रखती हैं. करवा चौथ का व्रत पुराणों में करक चतुर्थी के नाम से प्रचलित है. इस दिन महिलाएं श्री गणेशजी और चंद्रमा के साथ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा करती हैं. करवा चौथ के दिन रात में चांद निकलने के बाद उसको अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. इस दिन पूजा की थाली में कुछ चीजों का होना बेहद जरूरी है. जिसमें मिट्टी का करवा, छलनी और सींक होना बेहद जरूरी होता है.  इस दिन चंद्रमा को छलनी से देखने की बेहद खास परंपरा है जिसका पालन लंबे समय से किया जा रहा है.  हम छलनी में चांद को देखने के बाद ही पति का चेहरा क्यों देखते हैं, इसके बारे में बता रहे हैं.


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पति को छलनी में से क्यों देखते हैं
छलनी से व्रती महिलाएं रात को चंद्रमा के दर्शन करती हैं. छलनी का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि स्पष्ट रूप से चंद्रमा का हम लोगों को दर्शन नहीं करना चाहिए. किसी न किसी की आड़ में चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए. इसके पीछे पौराणिक मान्यता जुड़ी है. जैसे कि जितने छलनी में छेद होते हैं उतने ही उनकी पति की लंबी आयु भी सैकड़ों वर्ष की हो जाए. भगवान से महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं.मिट्टी के करवा में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और फिर पति अपनी पत्नी को जलपान कराकर उसके व्रत को परिपूर्ण करता है.


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पुराणों में भी उल्लेख
पुराणों में ऐसी कथा प्रचलित है कि प्रजापति दक्ष ने जब चंद्रमा को श्राप दिया कि जो तुम क्षीण हो जाओ. जो तुम्हारे दर्शन करेगा उस पर कलंक आएगा. तब चंद्रमा रोते हुए भगवान शंकर के पास पहुंचे.चांद ने शिवजी से कहा इस श्राप के चलते हमारा तो कोई चतुर्थी के दिन दर्शन ही नहीं करेगा. तब भोले शंकर ने कहा था सब चतुर्थी को छोड़िए कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्थी आएगी उस दिन जो भी तुम्हारे दर्शन करेगा. उसके जीवन का उद्धार हो जाएगा और जीवन के जो सारे दोष, कलंक सब मिट जाएंगे.


चंद्रमा का विशेष महत्व
चांद को लेकर एक और कथा प्रचलित है. करवा चौथ व्रत कथा में बताया गया है कि एक साहूकार के 7  लड़के होते हैं. अपनी बहन से सभी बहुत प्यार करते थे.  करवा चौथ के दिन अपनी बहन को भूख से परेशान देख भाइयों ने उसे झूठा चन्द्रमा दिखा दिया था. जिसके कारण उसकी बहन के पति प्राण चले गए. फिर उपायों द्वारा उनके प्राण वापस आए.  तब से ही इस तरह के छल से बचने के लिए चन्द्रमा को छलनी से देखने की प्रथा की शुरुआत हुई.


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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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