Saraswati Puja Kab Hai: विद्या की देवी माता सरस्वती की कृपा जिस पर होती है उसकी बुद्धि तो तेज होती ही है इसके साथ ही वो अपने कामों में निपुण भी होते जाते हैं. इस साल 14 फरवरी को पूरे देश में वसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन विशेष पूजा अनुष्ठान करने की परंपरा है. हालांकि माता सरस्वती की पूजा बहुत ही साधारण और सरल तरीके से की जाती है. लेकिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए अगर पूजा की थाल में माता के अति प्रिय फूलों को रखा जाए और पूरे मन से चढ़ाया जाए तो इससे माता की कृपा भक्त पर बरसती है. 


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सफेद और पीले रंग के फूल
शास्त्रों की माने तो सफेद और पीले रंग माता सरस्वती को बहुत प्रिय है और सरस्वती पूजा के लिए अगर पीला और सफेद रंग के फूलों को उन्हें अर्पित किया जाए तो यह बहुत लाभकारी साबित हो सकता है. हालांकि, फूल चढ़ाते समय ये ध्यान में रखना चाहिए कि फूल बासी या सूखे न हो, फूल बिल्कुल ताजे व शुद्ध हो. माता की श्रृंगार के लिए भी आप सफेद और पीले रंग के फूलों को उपयोग में लाएं. 


माता सरस्वती की पूजा में रखें ये फूल (goddess saraswati)
सरस्वती पूजा के लिए सफेद और पीले रंग के कनेर के साथ ही गुलाब, चांदनी व गेंदे के फूलों का उपयोग ला सकते हैं. सर्दियों में गेंदे के फूल आसानी से मिल जाते हैं तो ऐसे में पूजा और माला बनाने के लिए आप गेंदे के फूल उपयोग में ला सकते हैं. माता सरस्वती की पूजा के लिए चंपा व चमेली के फूल भी अर्पित कर सकते हैं. 


मां सरस्वती को न चढ़ाएं ये फूल (saraswati puja kab hai)
केतकी के फूलों को उपयोग भूलकर भी न करें. केतकी का फूल देवी-देवताओं की पूजा में पूरी तरह से वर्जित है, ऐसे में माता सरस्वती की पूजा में केतकी के फूल का उपयोग में न लाएं। केतकी के अलावा केसरिया या केसरइय्या के फूल न अर्पित करें. बासी, मुरझाए और जमीन पर गिर चुके फूल को पूजा से दूर कर दें. सरस्वती माता की पूजा व माला बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले फूलों को लेकर सतर्क रहें.