Naimisharanya Dham: यूपी के नैमिषारण्य धाम की पीठासीन देवी मां ललिता के दर्शनों के लिए हर दिन हजारों भक्त आते हैं. इसे सिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है. यह एक अत्यधिक पूजनीय मंदिर है. देवी भागवत में भी श्लोक है कि वाराणस्यां विशालाक्षी नैमिषेलिंग धारिणी, प्रयागे ललिता देवी कामुका गंध मादने... नैमिषारण्य में ललिता देवी का वर्णन 108 देवी पीठों में आता है.


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कौन हैं ललिता देवी 
देवी भागवत में लिखा है कि देवी सती अपने पिता राजा दक्ष द्वारा अपने पति शिव शंकर के अपमान को नहीं  सह सकीं. उन्होंने आहत होकरदक्ष के यज्ञ के हवनकुंड में जलकर अपने प्राणों की आहुति दे दी. जब शिवजी को यह समाचार मिला तो वह देवी सती का जला हुआ शरीर उठाकर तीनो लोकों में घूमने लगे. तब भगवान विष्णु ने उन्हें चेतना में लाने के लिए चक्र से देवी के शरीर के टुकड़े कर दिए. यह 108 टुकड़े धरती में जहां- जहां भी गिरे वहां देवी के शक्तिपीठ बन गए. नैमिषारण्य में देवी का हृदय गिरा इसलिए देवी को ललित यानि कोमल माना गया और उनका नाम ललिता देवी पड़ा. 


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देवी ललिता जी ने किया ब्रह्मा जी का ये काम 
पुराणों के अनुसार. जब देवता और ऋषि महादेव के नेतृत्व में ब्रह्मा के पास असुरों के आतंक से पीड़ित होकर पहुंचे , तो ब्रह्मा ने अपना चक्र छोड़ा और उन्हें वह स्थान तपस्या के लिए निर्देशित किया जहां चक्र गिरे. नैमिष में चक्र गिरा अत: वह स्थल आज भी चक्रतीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है. लेकिन इस चक्र के प्रवाह से छह पाताल टूट गए और उसे कोई थाम नहीं सका. तब ब्रह्मा जी के कहने पर सभी देवता और ऋषि माँ ललिता के पास गए और उन्होंने इस चक्र के वेग से निकलने वाले पानी को थाम के रखा हुआ है.


हर मनोकामना होगी पूरी 
नैमिषारण्य धाम में मां ललिता देवी के मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां देवी के दर्शन के कर भक्त स्वयं को धन्य करते हैं. नवरात्री के समय यहां भीड़ बढ़ जाती है. मंदिर में  साधु, संत और श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का अनवरत पाठ करते हैं, इसके अलावा यहां पर मुंडन, अन्नप्रासन आदि संस्कारों कराने भी लोग आते हैं.  माता के दर्शन के लिए उत्तर प्रदेश ही नहीं दफेश और विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं. गर्भ गृह में पूर्व दिशा में मां की प्रतिमा स्थापित है. पुराणों के अनुसार माता का दर्शन अभीष्ठ फल देने वाला है.