Masik Kalashtami 2023: हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस बार भाद्रपद की कालाष्टमी 6 सितंबर बुधवार को मनाई जा रही है. कालाष्टमी व्रत के दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है.  इस दिन शिवालयों और मठों में विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिसमें भगवान शिव के रूप में काल भैरव का आह्वान किया जाता है. यह शिव के एक अन्य रुप हैं जिन्हें काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा के रुप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं व्रत की पूजा विधि और महत्व...


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कालाष्टमी Vrat शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू हो जाएगी जो कि 7 सितंबर को शाम में 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी.  वहीं, काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है. 


कालाष्टमी पूजा विधि
कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा रात्रि के समय की जाती है.  यह पूजा तंत्र-मंत्र दोनों ही मार्गों में प्रचलित रही है. ऐसी मान्यता है कि बाबा काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.   इस दिन सुबह स्नान-ध्यान के बाद ही पूजा करें. साफ वस्त्र धारण कर सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर इसके बाद, षोडशोपचार कर काल भैरव की पूजा करें.  शिव चालीसा, शिव स्त्रोत पाठ और मंत्र का जाप करें. पूजा के दौरान घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं. बाबा की आरती करें और  भोग लगाएं. पूजा के आखिर में काल भैरव से अपनी कामना कहें. 


बाबा काल भैरव के मंत्र
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ओम भ्रं कालभैरवाय फट्।


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