Aaj ka Panchang 27 November 2023: हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक जरूरी हिस्सा होता है. यह महीने की तीस तिथियों और पांच अंगों (वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण) से मिलकर बनता है. दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में हर प्रकार की जानकारी प्रदान करता है. आइये जानते हैं 27 November 2023 का पंचाग... 


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पंचांग के अनुसार 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी. इस दिन गुरुनानक जयंती भी रहेगी. इस शुभ दिन पर सर्वार्थ सिद्दि योग भी रहेगा. 


कार्तिक पूर्णिमा- 27 नवंबर 2023, सोमवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-26 नवंबर 2023 को 3.43 पीएम बजे तक
पूर्णिमा तिथि समाप्त-27 नवंबर 2023 को 2.45 पीएम.


तिथि - पूर्णिमा
पक्ष - शुक्ल
वार - सोमवार
नक्षत्र - कृत्तिका


 


सूर्यास्त- 5:07 पीएम
चंद्रोदय- 04:57 पीएम
चन्द्रास्त -चन्द्रास्त नहीं


शुभ काल
अभिजीत मुहूर्त 11:24 एएम से 12:07 पीएम
अमृत काल मुहूर्त 11:14  एएम से 12:48 पीएम
विजय मुहूर्त 01:33 PM से 02:16 पीएम
धूलि मुहूर्त 04:57 PM से 05:21 पीएम
सायाह्न संध्या मुहूर्त 05:07 PM से 06:27 पीएम
निशिता मुहूर्त 11:19 PM से 12:12 AM, Nov 28
ब्रह्म मुहूर्त 04:37 एएम से 05:30 पीएम
प्रातः संध्या 05:04  एएम से 06:23 एएम
सर्वार्थ सिद्धि योग-01:35 PM से 06:24 AM, November 28


अशुभ काल
दुष्ट मुहूर्त-12:06:52 से 12:49:48 तक 14:15:41 से 14:58:37 तक
कालवेला / अर्द्धयाम 09:58:03 से 10:40:59 तक
कुलिक-14:15:41 से 14:58:37 तक
यमघण्ट 11:23:55 से 12:06:52 तक
कंटक 08:32:10 से 09:15:06 तक
यमगण्ड 10:24:53 से 11:45:23 तक
राहुकाल 07:43:51 से 09:04:22 तक
गुलिक काल 13:05:54 से 14:26:25 तक
भद्रा-कोई नहीं हैगण्ड मूल-कोई नहीं है


 


ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से किसी महीने में 31 और किसी महीने में 1 दिन होते हैं. अगर हम हिंदू कैलेंडर की बात करें तो उसके हिसाब से हर माह में 1 दिन ही होते हैं, जिन्हें तिथि कहा जाता है. ये तिथियां दो पक्षों में होती हैं. इनमें से एक पक्ष को शुक्ल और एक पक्ष को कृष्ण कहा जाता है. ये 15-15 दिन के होते हैं. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इन तिथियों को प्रतिप्रदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और एक पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या और दूसरे पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा. 


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