भगवान राम के अयोध्या पहुंचने पर क्या-क्या हुआ? जानें कैसी थी त्रेता युग की पहली दिवाली

First Diwali of Treta Yuga: सनातन धर्म में कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और इसी दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है. लंकापति रावण का वध करके जब श्रीराम अयोध्या आए थे तो कैसे नगरवासियों ने उनका स्वागत किया था.

प्रीति चौहान Wed, 23 Oct 2024-11:35 am,
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दिवाली 2024

दिवाली का त्योहार पूरे भारत में बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार अच्छाई की जीत और बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय का प्रतीक है.

 

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त्रेता युग की दिवाली

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने अपने घरों को दीयों से सजाया था. इसी खुशी के अवसर पर दिवाली का त्योहार मनाया गया था.

 

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नगरवासियों ने किया ये काम

इस दिन को याद करते हुए, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके दीये, मोमबत्तियाँ और रंगोली से सजाते हैं.  वे भगवान राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण की पूजा करते हैं और अपने घरों में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.

 

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राजा का स्वागत

धार्मिक मान्यता के अनुसार, उस समय अयोध्या के लोगों ने अपने प्रिय राजा के स्वागत में पूरे नगर को दीपों से सजाया और उत्सव मनाया, जो अब दीपावली के रूप में मनाया जाता है.

 

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कैसा रहा होगा माहौल

आइए जानते हैं कि उस समय का माहौल कैसा रहा होगा मतलब कि त्रेता युग वाली दिवाली कैसी रही होगी.

 

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त्रेता युग वाली दिवाली?

रामायण के अनुसार, वनवास के दौरान लंकापति रावण ने सीता का हरण किया था. जिसके बाद प्रभु राम ने रावण का वध किया और सीता को वापस पाया. लंका में विजय के बाद, विभीषण को लंका का राजा बनाकर प्रभु राम अयोध्या लौटे थे. 

 

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श्रीराम के पहुंचते ही अयोध्या में क्या-क्या हुआ?

घरों की साफ-सफाई की गई.दीये और मोमबत्तियाँ जलाना शुरू किया गया. रंगोली बनाई गई. आतिशबाजी और पटाखे जलाए गए. एक दूसरे को मिठाईंयां खिलाई गई.

 

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अयोध्या में खुशियां ही खुशियां

विभीषण ने प्रभु राम को पुष्पक विमान से विदा किया था. जब अयोध्या के निवासियों को पता चला कि प्रभु राम लंकापति पर विजय पाकर अयोध्या वापस आ रहे हैं तो सब जगह खुशियां ही खुशियां फैल गई. 

 

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नगर में उल्लास

ऐसा यह बताया जाता है कि जैसे ही यह सूचना अयोध्या में फैली, प्रकृति भी खुश होकर खिल उठी और सूखी सरयू नदी फिर से अविरल बहने लगी. पूरे नगर में उल्लास की लहर दौड़ गई.

 

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अयोध्या में क्या-क्या हुआ?

अयोध्या के लोग अपने राजा के स्वागत के लिए दीपों से पूरे नगर को रोशन कर दिया. जिन जगहों से भी प्रभु राम गुजरे, वहां की प्रकृति का सौंदर्य निखर गया था. लोग खुशियों में पटाखे फोड़ने लगे और देवी-देवता भी पुष्पों की वर्षा कर रहे थे. 

 

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पुष्पों से भगवान राम का स्वागत

जब प्रभु राम अयोध्या पहुंचे, तो उन्होंने सभी को गले लगाया, और अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत पुष्पों से किया. यह दिन कार्तिक अमावस्या का था, जिसे अब दीपावली के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है.

 

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डिस्क्लेमर

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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