Mahananda Navami 2024: कन्या पूजन से पहले जरूर करें इन 5 शक्तिशाली मंत्रों का जाप, मां सिद्धिदात्री करेंगी कल्याण

Maha Navami 2024: नवरात्रि के मौके पर भक्त और साधक महाअष्टमी और महानवमी तिथि को हवन करते हैं. आइए जानते हैं कुछ मंत्रों के बारे में जिनका जाप करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं.

प्रीति चौहान Oct 10, 2024, 14:43 PM IST
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मां सिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री, मां दुर्गा का नौवां स्वरूप हैं. नवरात्रि के नौवें दिन यानी महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री की पूजा में उन्हें पुष्प, अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि चढ़ाए जाते हैं. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है.

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नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री

मां दुर्गा के नौवें शक्ति को सिद्धिदात्री कहा जाता है. नवरात्रि पूजन के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की उपासना करने का विधान है. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ जो व्यक्ति माता की साधना करता है, उसे सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है.

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सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotra)

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में करें सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. 

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शिव उवाच (Shiva Uvach)

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्। येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।। न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्। न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।। कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्। अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।। गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति। मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

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अथ मंत्र ath mantra

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''

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इति मंत्र: Iti mantra

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।। नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।। जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे। ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।। क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते। चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।। विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।। धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।। हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।। अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।। पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।। सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।। इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे। अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।। यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्। न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

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मां सिद्धिदात्री ध्यान मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।

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अन्य

ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:  वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम् । कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्

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Disclaimer

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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