Pitru Paksha 2024: पितर कितने प्रकार के, पितृ पक्ष में कब किसकी कैसे करें पूजा?

हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है. जिसमें तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का खास महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. ऐसे में आइए जानते हैं पितर कितने प्रकार के होते हैं?

पूजा सिंह Sun, 15 Sep 2024-1:29 pm,
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Pitru Paksha 2024: सनातन धर्म में पितृ पक्ष बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दौरान अपने असंतुष्ट पितरों को खुश करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने का विधान है. ऐसा करने के लिए पितृ पक्ष में 16 तिथियां होती हैं.

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धरती पर आते हैं पितर

हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है. मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर पृथ्वी पर आते हैं. ऐसे में पितृ दोष से पीड़ित लोग इससे छुटकारा पाने के उपाय कर सकते हैं.

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कौन-सी तिथि है शुभ?

सभी पूर्वजों की अपनी-अपनी निश्चित तिथि होती है, जिस दिन उनके लिए तर्पण, श्राद्ध किया जाता है. जिनकी मृत्यु की तारीख अज्ञात होती है, उनके लिए भी अमावस्या की तिथि तर्पण के लिए शुभ मानी जाती है. आइए जानते हैं कि कितने प्रकार के पितर होते हैं?

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जानें पितरों के प्रकार

शास्त्रों की मानें तो चंद्रमा पर एक और लोक है, जिसे पितरों का लोक माना जाता है. पुराणों के मुताबिक, पितरों को दो भागों में बांटा गया है. एक हैं दिव्य पितर और दूसरे हैं मनुष्य पितर. शास्त्रों की मानें तो दिव्य पितर मनुष्य और जीवित प्राणियों के कर्मों के आधार पर उनका न्याय करते हैं. 

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कौन हैं पितरों के मुखिया?

अर्यमा को पितरों का मुखिया माना जाता है और यमराज को न्यायाधीश. काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा और यम- ये चार इस जमात के मुख्य गण प्रधान हैं. भगवान चित्रगुप्त सभी के कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले हैं. इन पांचों के अलावा हर वर्ग की ओर से सुनवाई करने वाले हैं, अग्निष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक और नान्दीमुख ये नौ दिव्य पितर बताए गए हैं.

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मृत्यु के बाद कौन करता है न्याय?

आदित्य, वसु, रुद्र और दोनों अश्विनी कुमार भी केवल नांदीमुख पितरों को छोड़कर शेष सभी को तृप्त करते हैं. इन सबसे जो गठित समाज है, वही पितर हैं. यही मृत्यु के बाद न्याय करती है. पितृ पक्ष में तीन पीढ़ियों तक के पिता पक्ष के और तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता है. 

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कैसे मिलता है पितरों को भोजन?

पुराण की मानें तो पितर गंध और स्वाद के तत्वों से प्रसन्न होते थे. दूसरी ओर, शांति के लिए जातक जब जलते हुए उपले (गाय के गोबर से बने कंडे) में गुड़, घी और अन्न अर्पित करते हैं तो गंध पैदा होती है. वे इसी गंध से भोजन करते हैं.

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कैसे दें पितृ पक्ष में पितरों को जल?

पितरों को जल अर्पित करने की विधि को तर्पण कहा जाता है. कुश लें, हाथ जोड़ें और जिन्हें अर्पित करें उनका ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’ अब इसे धीरे-धीरे अपने अंगूठे का इस्तेमाल करते हुए 5-7 या 11 बार जमीन पर चढ़ाएं.

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कब है 2024 में श्राद्ध पक्ष?

इस साल का पितृ पक्ष 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से प्रातः 11 बजकर 44 मिनट से शुरू हो रहा है. इस दिन श्राद्ध पूर्णिमा रहेगी. 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या या आश्विन अमावस्या के दिन पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा. श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण मुहूर्त अच्छा माना गया है. 

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं-धार्मिक जानकारियों और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है.  यहां यह बताना जरूरी है कि ZEE UPUK किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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