Hartalika Teej 2024: अखंड सौभाग्य का रखती हैं व्रत तो समझ लें कजरी तीज, हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर, मनोकामना पूरी होगी
सनातन धर्म में हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज का खास महत्व है. तीनों ही दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इन तीनों तीजों में क्या अंतर है?
Hartalika Teej 2024: सनातन धर्म तीज के त्योहार का खास महत्व है. ये त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है. जिसमें सबसे पहले हरियाली तीज, फिर कजरी तीज और सबसे आखिरी में हरतालिका तीज आती है. ये तीनों ही महादेव और मां गौरी को समर्पित है. उन्हीं की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इन व्रतों को रखने से अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. जहां इनमें कुछ समानताएं हैं तो कुछ अंतर भी है. आइए जानते हैं.
कब मनाई जाती है हरियाली तीज?
वैदिक पंचांग के हिसाब से हरियाली तीज हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर महादेव और मां पार्वती की पूजा करती हैं.
जानें हरियाली तीज की मान्यता
शिव पुराण की मानें तो इसी दिन महादेव ने मां गौरी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. जिसकी वजह से हरियाली तीज का व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान देने वाला माना गया है.
क्या चली आ रही है परंपरा?
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सज-संवरकर झूला झूलती हैं और सावर के लोकगीत गाती है. इस दिन हाथों में मेहंदी लगाने की भी परंपरा है. इस व्रत को न सिर्फ सुहागिन महिलाएं बल्कि कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए करती हैं.
कब मनाई जाती है कजरी तीज?
वैदिक पंचांग के मुताबिक, कजरी तीज का त्योहार हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाई जाती है. इसे कजली तीज, सातूड़ी तीज और भादो तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भी सुहागिन महिलाएं अखण्ड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन माता पार्वती और महादेव के साथ नीमड़ी माता की पूजा का विधान है.
क्या है कजरी तीज की मान्यता?
शास्त्रों के मुताबिक, मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था. वहां के राजा की अकाल मृत्यु हो गई और इस वियोग में रानी ने खुद को सती कर लिया. इस घटना से वहां के लोग दुखी तो हुए, लेकिन राजा रानी के प्रेम से प्रभावित होकर कजली गीत गाने लगे. ये गीत पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक होता था.
कैसी है व्रत खोलने की परंपरा?
राजा रानी के प्रेम से प्रभावित होकर तब से कजरी तीज मनाने की परंपरा शुरू हो गई. व्रत को खोलने के लिए इस दिन शाम को महिलाएं सात रोटियों पर चना और गुड़ रखकर पहले गाय को खिलाती हैं.
कब मनाई जाती है हरतालिका तीज?
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है. इस साल 6 सितंबर को इसका व्रत सुहागिन महिलाएं रखेंगी. हरियाली तीज की तरह हरतालिका तीज का व्रत भी निर्जला रखा जाता है.
क्या है हरतालिका तीज की मान्यता?
मान्यता है कि मां पार्वती ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए वन में घोर तपस्या की थी. साथ ही बालू के शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया था. जिससे खुश होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे. जिसकी वजह से आज भी महिलाएं हरतालिका तीज पर मंडप सजाकर बालू से भोलेनाथ और मां पार्वती की प्रतिमा बनाकर उनका गठबंधन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए विधि विधान से पूजा करती हैं.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं, वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.