Shaligram Puja Niyam: शालिग्राम का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यता है कि शालिग्राम विष्णुजी का विग्रह रूप होता है. शालिग्राम 33 प्रकार के होते हैं जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम को विष्णु जी के 24 अवतार जोड़कर देखा जाता है. घर में अगर शालिग्राम है तो उसकी विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए, ऐसा करने से दुख दर्द का नाश होत है. वहीं अगर शालिग्राम संबंधी कुछ विशेष नियमों को नहीं ध्यान में रखा गया तो घर को कई तरह की समस्याएं घेर सकती हैं. 


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शालिग्राम की पूजा के समय इन बातों का रखें ध्यान 
जहां पर शालिग्राम स्थापित हो वहां हमेशा सात्विक जीवन जीना चाहिए.
घर में एक से ज्यादा शालिग्राम स्थापित कतई न करें. ज्यादा शालिग्राम होने पर क्षमा मांगते हुए जल में प्रवाहित करें.
शालिग्राम कभी भी उपहार में किसी को न दें. हमेशा अपने पैसों से ही इसे खरीदें.
उपहार में मिले शालिग्राम की पूजा करने से पूरा फल उपहार देने वाले व्यक्ति को चला जाता है.
घर में अगर शालिग्राम होने की स्थिति में मांस-मदिरा, जुआ से घर के सदस्यों को दूर रहना चाहिए. 
शालिग्राम की पूजा के समय अक्षत( साबुत चावल) को उपयोग में न लाएं , पहले अक्षत को पीले रंग में रंगे और फिर अर्पित करें.
शालिग्राम की नियमित पूजा करें. न कर पाने पर क्षमा जरूर मांगे और जल में प्रवाहित करें. 
शालिग्राम को तुलसी के पौधे के पास हमेशा स्थापित करें. भगवान विष्णु के साथ तुलसी देवी बहुत प्रसन्न रहती हैं और घर की दिक्कतों का अंत होता है.
शालिग्राम को हर दिन पंचामृत से स्नान करवाएं. इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
शालिग्राम की पूजा जब भी करें. चंदन के साथ-साथ उन पर नियमित रूप से तुलसी देवी के पत्तों को अर्पित करें.


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