Shardiya Navratri 2024 2nd Day: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तारीख से होती है. हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माने जाने वाले शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिन शक्ति की साधना के लिए बेहद शुभ और पवित्र माने गये हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखते हुए 9 देवियों की विधि-विधान से पूजा करता है भगवती दुर्गा पूरे साल अपनी कृपा बरसाती हैं. इस लेख में जानते हैं कि नवरात्रि के दूसरे दिन किस मां की पूजा की जाती है. 


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मां ब्रह्माचारिणी का अर्थ
यहां ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी’ का अर्थ है-तप का आचरण करने वाली . मां दुर्गा का ये स्वरूप अनंत फल देने वाला है. जैसा कि नाम से साफ है मां ब्रहृमचारिणी.  यानि जो तप और आचरण की देवी हैं. 


कैसा है मां ब्रहृमचारिणी का स्वरूप
मां एक हाथ में जप की माला और दूसरे में कमण्डल लिए हुए हैं.  मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के सुख मिलते हैं. मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी कहा जाता है. देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानि मां ब्रह्मचारिणी की साधना करने पर लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है.


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मां ब्रह्माचारिणी की पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र)में उठें और स्नान कर साफ कपड़े धारण करें.मां को पंचामृत से स्नान कराएं. फिर इसके बाद मां को अक्षत चंदन और रोली  चढ़ाएं. मां को कमल और गुड़हल के फूल चढ़ाएं. उसके बाद कलश देवता और नवग्रह की विधि विधान से पूजा करें. दीपक से मां की आरती उतारें और उनका ध्यान करें. 


मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग
मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री काफी पसंद है. इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं. मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं.


माँ ब्रह्मचारिणी स्तोत्र 
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥


पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कार्यों में सफलता मिलती है. व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहता है. त्याग, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, तप जैसे गुणों की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त माता के इसी विग्रह की पूजा, अर्चना और उपासना करते हैं. मां भक्तों को उनके प्रत्येक कार्य में सफलता प्रदान करती हैं.  उनके उपासक सन्मार्ग से कभी नहीं हटते हैं.


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता हइसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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