Vivah Panchami 2024: विवाह पंचमी पर करें यूपी के राम-सिया के इन मंदिरों का दर्शन, इस जगह धरती में समाई थी मां सीता
Vivah Panchami 2024: विवाह पंचमी के दिन ही सिया-राम की अद्भुत जोड़ी एक हुई थी. इस शुभ दिन को श्रीराम-जानकी की अर्चना से जीवन की अनेक समस्याओं का अंत होता है. आइए जानते हैं यूपी के राम-सीता मंदिरों के बारे में...
Vivah Panchami 2024: भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह की सालगिरह को विवाह पंचमी (Vivah Panchami) के रूप में मनाया जाता है. हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर (Kab Hai Vivah panchami 2024) को मनाई जाएगी. दुनियाभर में जहां पर भी श्रीराम का मंदिर है वहां पर माता सीता भी विराजमान हैं. माता सीता का जन्म नेपाल में हुआ. माता सीता को भूमिदेवी की पुत्री भी कहा जाता है और जनकनंदनी भी कहते हैं. अयोध्या में भव्य मंदिर तो आस्था का केंद्र है ही, साथ ही यूपी में मां सीता और भगवान राम के बहुत से मंदिर हैं जिनका संबंध कहीं न कहीं राम जी के काल से जुड़ा है. इस लेख में जानते हैं यूपी में राम-सीता मंदिर के बारे में.
अयोध्या राम मंदिर
अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्रीराम विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. राम नगरी में 6 दिसंबर को लगभग 12 से अधिक मंदिरों से देर शाम भगवान श्रीराम की भव्य बारात निकाली जाएगी. वहीं, जानकी उपासक, जानकी महल और रंग महल मंदिर से भी वर पक्ष की तरफ से बारात निकाली जाएगी. यहां भगवान श्रीराम का बारात पहुंचेगी और सनातन परंपरा के अनुसार हिंदू रस्मों-रिवाज से इस विवाह महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. कनक भवन, अयोध्या ऐसा कहा जाता है कि श्रीराम से विवाह के पश्चात माता सीता यहीं पर रही थीं. अब यह भवन एक मंदिर है. आज भी यह धर्म स्थल एक विशाल महल जैसा दिखाता है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न स्थापित हैं. भगवान राम और माता सीता ने स्वर्ण मुकुट पहन रखे हैं. राम के भक्तों और संतों का मानना है कि महल में भगवान श्रीराम और माता सीता विचरण करते हैं. कहते हैं कि मंदिर के प्रांगण में बैठे रहने पर मन में किसी प्रकार की कोई चिंता मन में नहीं रह जाती है. साथ ही आँगन में हनुमान जी को भी स्थान मिला है.
सीता रसोई, अयोध्या
अयोध्या में स्थित यह मंदिर श्रीराम जन्मभूमि के करीब स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि शुगन के तौर पर पहली बार माता सीता ने यहां पर सभी के लिए भोजन बनाया था. सीता की रसोई अपने नाम के मुताबिक कोई विशेष रसोई घर नहीं है. ये राम मंदिर परिसर में ही मौजूद एक मंदिर है. इस मंदिर में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न और उन सभी की पत्नियों सीता, उर्मिला, मांडवी और सुक्रिर्ति की मूर्तियों से सजा एक विशेष मंदिर है. इस मंदिर में प्रतीकात्मक तौर पर रसोई के बर्तन रखे हैं. जिनमें या चकला और बेलन के अलावा रसोई में इस्तेमाल के दूसरे बर्तन रखे गए हैं. ये मंदिर राम जन्म भूमि के उत्तरी - पश्चिमी हिस्से में मौजूद है.
माधुरी कुंज
अयोध्या में एक ऐसा स्थान है जहां पर माता सीता की अष्टयाम सेवा होती है. यह मंदिर नजरबाग मोहल्ले के माधुरी कुंज में है. कहते हैं कि जब माता सीता का भगवान श्री राम से विवाह हुआ था तो सबसे पहले डोली माधुरी कुंज में ही रुकी थी. माता सीता अपनी आठों सखियों के साथ माधुरी कुंज में आई थीं. मंदिर में प्रभु श्रीराम-सीता जी के साथ ये आठों सखियां भी विराजमान हैं. इसलिए पुजारी मंदिर में सखी परंपरा से पूजा अर्चना करते हैं.
वाराणसी में मंदिर
यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित संत रविदास नगर (भदोही) जिले के जंगीगंज बाज़ार से 11 किलोमीटर गंगा के किनारे स्थित है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर माँ सीता से अपने आप को धरती में समाहित कर लिया था. यहाँ पर हनुमानजी की 110 फीट ऊँची मूर्ति है जिसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति होने का गौरव मिला हुआ है.यहां का दो मंजिला मंदिर बारिश के मौसम में चारों ओर पानी से घिरा रहता है. मंदिर जगन्नाथ अस्सीघाट के पास स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में हुआ था. इस मंदिर में आषाढ़ माह में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है.
राम रेखामंदिर -बस्ती
अयोध्या-बस्ती की सीमा से लगा यह पौराणिक स्थल अपने आप में त्रेता युग की यादों को समेटे हुए है. जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी पर हर्रैया तहसील क्षेत्र में रामजनकी मार्ग पर स्थित एक ऐसा मन्दिर है जो भगवान राम और माता सीता के इतिहास को खुद में समेटे हुए हैं. यह राम रेखामंदिर बेहद ही पौराणिक और सांस्कृतिक है. ऐसी मान्यता है की भगवान राम और माता सीता द्वारा इस पवित्र स्थल पर विश्राम किया गया था. आज यह मंदिर लोगों के आस्था का केन्द्र बना हुआ है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां भगवान राम और माता सीता का दर्शन करने आते हैं. यज्ञ स्थली मखौड़ा धाम से शुरु होने वाले 84 कोसी परिक्रमा का यह स्थान दूसरा विश्राम स्थल भी है. साथ ही साथ यहां चैत्र रामनवमी के दिन बेहद स्थल पर मेला भी लगता है. पर्यटन विभाग द्वारा इस पौराणिक स्थल का चौमुखी विकास भी किया जा रहा है.
भगवान राम और माता सीता ने किया था विश्राम
स्थानीय लोगों की मान्यता अनुसार जब भगवान राम माता सीता को ब्याह कर जनकपुर से अयोध्या के लिए जा रहे थे तो उन्होंने इसी स्थल पर रुककर रात्रि विश्राम किया था. उनके साथ में उनके तीनों भाई और उनकी सेना भी यही रुकी थी और जब सुबह वो लोग यहां से अयोध्या के लिए प्रस्थान कर रहे थे. उसी समय माता सीता को प्यास लग गई. माता सीता की प्यास बुझाने के लिए भगवान राम ने अपने बाणों से एक लकीर खींची जिसके बाद वहां से पानी का तेज प्रवाह आने लगा. आज भी वह नदी यही बगल में स्थित है जिसको राम रेखा नदी कहते हैं.
सीतावनी, जिम कॉर्बेट पार्क नैनिताल
मान्यता के अनुसार नैनिताल के जिम कॉर्बेट पार्क में स्थित सीतावनी नामक स्थान पर माता सीता ने अपने निर्वासन के कुछ साल यहां बिताए थ. यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था. यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सीता धरती में समा गई थी.
सीता मंदिर, अशोकनगर
मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली तहसील के करीला गांव में माता सीता का एकमात्र ऐसा मंदिर हैं जहां पर सिर्फ उन्हीं की मूर्ति विराजमान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था.
सीताहरण का स्थान,नासिक
नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर और दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया था. जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में आज भी संरक्षित है। यह स्थान पंचवटी क्षेत्र में आता हैं. यहां पर सीता माता के कई मंदिर है.
अशोक वाटिका, श्रीलंका
रावण ने माता सीता को जहां पर बंदी बनाकर रखा था उस स्थान का नाम अशोक वाटिका है, यहां पर अशोक के वृक्ष बहुतायत पाए जाते हैं। यह स्थान श्रीलंका में है. डिस्क्लेमर यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं.कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता. इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं.