Weekly Vrat Festivals List: कार्तिक मास को सनातन धर्म में सबसे पवित्र बताया गया है. इस सप्ताह कई व्रत त्योहार पड़ते हैं दिवाली, और छठ के बाद 11 से 17 नवंबर के बीच अब देवोत्थान एकादशी, कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली और तुलसी विवाह विवाह जैसे कई व्रत और पर्व हैं. इन सभी पर्वों का सनातन धर्म काफी महत्व बताया गया है. आइये आपको विस्तार से बताते है इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत-त्योहारों की तारीख, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त. 


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11 से 17 नवंबर तक व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट
(Vrat-Festival List from 11 to 17 November 2024)


देवउठनी एकादशी व्रत (12 नवंबर 2024)
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, जो चार महीनों के योग निद्रा में रहते हैं, पुनः जाग्रत होते हैं। इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन विष्णु पूजा, तुलसी माला, दीप जलाना, और तुलसी के पास दीप जलाकर परिक्रमा करने का महत्व है। इस दिन विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु के जागरण हेतु कथा और आरती की जाती है, जिससे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।


प्रदोष व्रत और तुलसी विवाह (13 नवंबर 2024)
प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है, और इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसमें तुलसी और शालिग्राम का विवाह रचाया जाता है। इसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मिलन का प्रतीक माना जाता है। प्रदोष व्रत का पूजन शाम के समय होता है, और तुलसी विवाह मुहूर्त में शुभ मंत्रों के साथ संपन्न होता है। इस दिन व्रत करने से पारिवारिक सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।


कार्तिक पूर्णिमा (15 नवंबर 2024)
कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष पवित्र माना जाता है, जिसमें गंगा, यमुना जैसे पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है। इस दिन किए गए स्नान, दान, और पूजा का फल अनंत गुणा होता है। इस दिन भगवान शिव, विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त और सुबह का समय माना गया है, और इस दिन उपवास और जागरण से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।


देव दिवाली (15 नवंबर 2024)
देव दिवाली को देवताओं की दीपावली कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवगण धरती पर आते हैं और गंगा के घाटों पर दीप जलाते हैं। इस दिन विशेष रूप से गंगा नदी के किनारे दीपदान किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। इसे देवताओं की प्रसन्नता का दिन माना जाता है, और गोधूलि वेला में दीप जलाकर पूजा करना अत्यंत शुभ होता है। दीपों से सजी गंगा आरती देखने का विशेष महत्व है।


वृश्चिक संक्रांति (16 नवंबर 2024)
वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्य देव का वृश्चिक राशि में प्रवेश होता है। इसे धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना गया है और इस दिन दान, स्नान, और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन शिव और विष्णु की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इस संक्रांति पर तिल, गुड़, और अन्न का दान शुभ माना जाता है। संक्रांति का समय सुबह का होता है, और इस समय पूजा-पाठ करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।


रोहिणी व्रत (17 नवंबर 2024)
रोहिणी व्रत का पालन विशेष रूप से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इसे चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में पड़ने पर किया जाता है, जिससे धन, समृद्धि, और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। व्रती इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। पूजन में शुद्ध जल, पंचामृत, पुष्प, और दीप जलाकर आरती की जाती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह का है, और व्रत से परिवार की सुख-शांति में वृद्धि होती है।


Disclaimer: दी गई जानकारी पंचांग और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता.


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