Dev Deepawali Upay: कार्तिक मास में दिवाली के 15 दिन बाद देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार यह त्योहार 15 नवंबर को है. मान्यता है कि इस दिन अगर विधि विधान से पूजा के साथ ये 10 कार्य पूरे कर लिये तो साल भर सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है.
इस पवित्र महीने में सूर्योदय से पहले विशेषकर पूर्णिमा के दिन, नदी में स्नान का अत्यधिक महत्व होता है. मान्यता है कि इस मास में भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं और इस स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है. श्रद्धालु यमुना, गढ़गंगा, हरिद्वार, और कुरुक्षेत्र जैसे पावन स्थलों पर स्नान करने जाते हैं.
देव दीपावली पर देवता स्वयं गंगा तट पर आकर दीप जलाते हैं. इसी परंपरा को मानकर लोग नदी, तालाब, और पवित्र स्थलों पर दीपदान करते हैं. मान्यता है कि इससे सभी संकट दूर होते हैं और जातक को कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है.
देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है इसलिए इस दिन व्रत रखने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. इस दिन उपवास और जागरण से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद किए गए व्रत से विशेष आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है.
इस दिन में किए गए दान से दस यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है. अपनी क्षमता अनुसार, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से आशीर्वाद मिलता है. इस दिन दान से समाज और परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है.
कार्तिक मास में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन तुलसी का विवाह करने, शालिग्राम के साथ पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है. तुलसी पूजा से परिवार में स्वास्थ्य और समृद्धि का वास होता है.
कार्तिक मास में उड़द, मूंग, चना, प्याज, और मांसाहार के सेवन से बचना चाहिए. इसके साथ ही तामसिक वस्तुओं जैसे शराब और अन्य नशे से दूर रहना स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है.
कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम और ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य बताया गया है. इसका पालन न करने से अशुभ परिणाम मिल सकते हैं. संयम में सीमित बोलना, निंदा न करना, और मानसिक शांति बनाए रखना प्रमुख हैं.
इस दिन भूमि पर सोने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है. यह सात्विकता बढ़ाने में सहायक है और इसके कारण शरीर में रोग और विकारों का शमन होता है.
कार्तिक पूर्णिमा पर तीर्थों की पूजा, भगवान विष्णु और लक्ष्मी की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है. साथ ही, चंद्र उदय के समय कार्तिकेय की माताओं और अन्य देवताओं का पूजन भी आवश्यक होता है, जिससे शौर्य, धैर्य, और धन-धान्य में वृद्धि होती है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.