Mundan Sanskar: हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार एक पवित्र परंपरा है, जिसे शिशु के जीवन में शुभ शुरुआत के रूप में देखा जाता है. जन्म के 1, 3, 5, या 7 साल में शुभ मुहूर्त देखकर मुंडन करवाने की परंपरा है. यह संस्कार बच्चे की शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है.  


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मुंडन के धार्मिक कारण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिशु के सिर पर उगने वाले बाल उसके पिछले जन्म के कर्मों से जुड़े होते हैं. मुंडन कराकर इन बालों का विसर्जन करने से शिशु को पूर्व जन्म के प्रभावों से मुक्ति मिलती है और उसे एक नई शुरुआत का आशीर्वाद मिलता है. यह संस्कार बच्चे की दीर्घायु और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है.  


वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मुंडन के बाद सिर की त्वचा सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती है, जिससे विटामिन डी का बेहतर अवशोषण होता है. यह बच्चे की हड्डियों और विकास के लिए फायदेमंद है. साथ ही, मुंडन के जरिए गर्भावस्था के दौरान सिर पर जमा अशुद्धियां दूर हो जाती हैं, जिससे बालों की गुणवत्ता में सुधार होता है.  


मुंडन संस्कार विधि
मुंडन शुभ मुहूर्त में घर के आंगन में या किसी धार्मिक स्थल पर किया जा सकता है. संस्कार की शुरुआत हवन से होती है. मां बच्चे को अपनी गोद में लेकर बैठती है, और बच्चे का मुंह पश्चिम दिशा की ओर रखा जाता है. बाल हटाने के बाद सिर को गंगाजल से धोया जाता है और हल्दी का लेप लगाया जाता है.  


मुंडन के लिए शुभ तिथि
द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, और त्रयोदशी तिथियां मुंडन के लिए शुभ तिथि मानी जाती हैं. अश्विनी, पुष्य, हस्त, पुनर्वसु, और श्रवण जैसे नक्षत्र भी इस संस्कार के लिए उपयुक्त माने गये हैं.   


इस तरह मुंडन संस्कार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह शिशु के स्वास्थ्य और शुभ भविष्य के लिए भी बेहद जरूरी है.


Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. ज़ी यूपीयूके इसकी विषय सामग्री का सही होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.


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