Tilak on forehead: सनातन धर्म में तीज-त्योहार या मांगलिक कार्यों व पूजा-पाठ में माथे पर तिलक लगाने को बहुत शुभ माना गया है. ज्यादातर हिन्दू धार्मिक संस्कारों में माथे पर तिलक लगाया जाता है. पूजा-पाठ, विवाह आदि आयोजनों में तिलक लगाने का रिवाज है. क्या आप जानते हैं कि माथे पर तिलक लगाने का वैज्ञानिक कारण क्या है. जानते हैं कि माथे पर तिलक लगाने के लिए हाथ की किस उँगली का इस्तेमाल शुभ माना गया है. 


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अनामिका उंगली शुभ


सनातन धर्म के अनुसार तिलक लगाने का अपना ही एक महत्व है.  कुछ व्यक्ति इसे ईश्वर से संबंध के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे मन और मस्तिष्क से संबंध के रूप में देखते हैं. धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हाथ की अनामिका उंगली को बहुत ही शुभ माना गया है.


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अनामिका उंगली में शुक्र ग्रह का वास
माथे पर तिलक लगाने के लिए मुख्य रूप से अनामिका उँगली का उपयोग किया जाता है. दरअसल पौराणिक शास्त्रों में इसके तीन कारण बताए गए हैं. अनामिका उँगली को बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस उंगली में शुक्र ग्रह का वास होता है, जो सफलता और सुख समृद्धि का प्रतीक है. इसके साथ ही इस उंगली को सूर्य पर्वत की उंगली भी कहा जाता है. इसलिए जब अनामिका उंगली से तिलक लगाया जाता है तो यह व्यक्ति के लिए सूर्य के समान तेज, लगातार सफलता और अटूट मानसिक शक्ति का वरदान होता है.


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तिलक लगाने के नियम 
तिलक लगाने के नियम बताए गए हैं. तिलक लगाते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना जरूरी है. इसके साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए तिलक लगाने वाले व्यक्ति को अपना हाथ सिर पर रखना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो वह किसी भी समय अपने माथे पर तिलक लगा सकता है. ध्यान रहे कि किसी मृत व्यक्ति की तस्वीर पर तिलक लगाते समय अनामिका उंगली नहीं बल्कि छोटी उंगली का उपयोग करते हैं.


मिलती है प्रतिष्ठा
अनामिका उंगली से तिलक लगाने से तेजस्वी और प्रतिष्ठा मिलती है. इसके साथ ही जब भी मान-सम्मान के लिए तिलक लगाया जाता है तोअंगुष्ठ यानि अंगूठे से तिलक लगया जाता है. 


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लाल,सफेद और पीला तिलक
सफेद रंग यानि चंदन के तिलक को शीतलदायी माना गया है. लाल रंग के तिलक को ऊर्जावान और पीले रंग के तिलक को प्रसन्नचित रहने के लिए भी लगाया जाता है. वहीं शिव भक्त भभूति यानि काले रंग का तिलक भी लगाते हैं, जो मोहमाया से दूर रहने का सूचक बताया जाता है. भगवान शिव भी मोह माया से दूर रहते हैं और कैलाश पर निवास करते हैं.  


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