संदीप गुसाईं/नैनीताल: नैनीताल में साल 2003 के बाद हुई बर्फबारी ने पर्यटकों के साथ ही स्थानीय कारोबारियों के चेहरे खिल उठे हैं। बर्फबारी के बाद अब मैदानी इलाकों से बड़ी संख्या में सैलानी नैनीताल का रुख कर रहे हैं। विगत 8 जनवरी की रात नैनीताल में 6 से 8 इंच बर्फ गिरी, जबकि किलबरी, पंगोट, चाइना पीक, स्नो व्यू, टिप एंड टॉप और जू इलाके में करीब एक फीट बर्फ गिरी.


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नैनीताल में बर्फ़बारी का असर नैनीताल झील पर पड़ेगा
नैनीताल में झील का जलस्तर पिछली गर्मियों में काफी कम हो गया था. नैनी झील की गहराई 90 फीट है. पिछले वर्ष मानसून की बारिश कम होने और पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा सक्रिय ना होने के कारण नैनी झील का जल स्तर सामान्य से 12 फीट नीचे चला गया था. इसके कारण झील के अस्तित्व के लिए संकट खड़ा हो गया था.


लेकिन इस बार हुई बर्फबारी के बाद झील का जल स्तर बढ़ गया है. अगले 3 महीनों तक इस बर्फबारी के कैचमेंट से पानी लगातार झील में आता रहेगा, इससे गर्मियों में पेयजल संकट भी दूर हो जाएगा. नैनीताल शहर में जल आपूर्ति 1950 से पहले नैनी झील से नहीं होती थी.



सन 1951 में नैनी झील से रोजाना करीब 6 लाख लीटर पानी निकाला जाने लगा. जो 2 साल में ही दोगुना हो गया. वर्तमान में इस झील से प्रतिदिन 6 से 8 एमएलडी पानी निकाला जाता है. गर्मियों के सीजन में यह आंकड़ा बढ़कर 10 से 12 एमएलडी हो जाता है. इस बा हुई बर्फबारी नैनी झील को रिचार्ज करने का काम करेगी.


नैनी झील एक प्राकृतिक जल स्रोत है. इसके कैचमेंट क्षेत्र में अवैध निर्माण के साथ ही पेड़ो की कटान से झील में पानी नहीं जा रहा है. नैनी झील में पानी सूखाताल सहित 64 और स्त्रोतों से आता है. इस बार बर्फबारी ज्यादा होने से झील को अगले 3 महीनों तक काफी पानी मिलता रहेगा.


नैनीताल का मौसम एक बार फिर से 12 जनवरी से करवट लेगा. मौसम विभाग ने 12 से 14 जनवरी को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने पर बर्फबारी का अनुमान जताया है. बर्फबारी होने के बाद झील का जलस्तर और बढ़ेगा. पिछले 6 जनवरी से 8 जनवरी तक पहले लगातार बारिश होती रही फिर बर्फबारी से पूरा नैनीताल बर्फ की सफेद चादर से ढक गया.