लखनऊ: राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के समझौते के लिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में एक बार फिर से दोहराया किया राम मंदिर की जगह पर राम मंदिर ही बनें. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद से बाबरी नाम हटाकर लखनऊ में अमन की मस्जिद बनाई जाए, ताकि देश में अमन और शांति बनी रहे.  


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उन्होंने कहा कि सच्चाई कड़वी होती है, लेकिन सच्चाई को कोई नहीं बदल सकता. उन्होंने कहा कि 450 साल पहले ही बाबरी पक्षकारों की हुकुमत के छोड़कर जा चुके हैं. राम मंदिर निर्माण पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि जिस बाबर ने साल 1528 में मंदिरों को तुड़वाकर बाबरी का निर्माण कराया, वो बाबरी कलंक था. उन्होंने कहा कि जिस बाबरी ढहे हुए सालों हो गए, जिस पर खून-खराबा हुआ. उसी बाबरी के लिए फिर से कुछ लोग उसी को मुद्दा बना रहे हैं. 



वसीम रिजवी ने कहा कि मंदिर और मस्जिद को लेकर बात होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मस्जिद को किसी राज या शासक के नाम पर रखने के बजाए मस्जिद-ए-अमन नाम रखा जाए. रिजवी ने अपनी तरफ से समझौते की कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजी है. रिजवी ने अयोध्या विवाद का समझौते का हल निकालने के लिए पिछले साल एक मसौदा तैयार किया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमा किया था. आपको बता दें कि समझौते में रिजवी ने कहा है कि विवादित जमीन पर भगवान श्रीराम का मंदिर बने ताकि हिन्दू और मुसलमानों के बीच का विवाद हमेशा के लिए खत्म हो और देश में अमन कायम हो सके.



शिया वक्फ बोर्ड ने कहा था कि इस मसौदे के तहत मस्जिद अयोध्या में न बनाई जाए, बल्कि उसकी जगह लखनऊ में बनाई जाए. इसके लिए पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद में घंटा घर के सामने शिया वक्फ बोर्ड की जमीन है, जिस पर मस्जिद बनाई जाए और इसका नाम इसका नाम किसी मुस्लिम राजा या शासक के नाम पर न होकर 'मस्जिद-ए-अमन' रखी जाए.



आपको बता दें कि शिया बोर्ड ने अयोध्या के विवादित मामले का फार्मूला पिछले साल 18 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में जमा करा दिया. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस मसौदे पर दस्तखत करने वालों में दिगंबर अखाड़े के सुरेश दास, हनुमान गढ़ी के धर्मदास, निर्मोही अखाड़े के भास्कर दास इसके अलावा राम विलास वेदांती, गोपालदास और नरेंद्र गिरी ने भी समर्थन किया था. अयोध्या विवाद के हल का मसौदा (मस्जिद-ए अमन) सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था. हालांकि, रिजवी ने कहा था कि हिंदू और शिया इस पर सहमत है, सुन्नी वक्फ बोर्ड का इससे कोई लेनादेना नहीं है, वो भी अदालत में है हम भी अदालत में है कोर्ट फैसला करेगा.