Ram Navami in Ayodhya: इस वर्ष 2024 में 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. 17 अप्रैल को नवमी पड़ रही है. ऐसे में अयोध्‍या में रामलला के विराजमान होने के बाद पहली बार नवमी मनाई जाएगी. राम मंदिर में नवमी को लेकर खास तैयारियां की जा रही हैं. रामनवमी पर 20 घंटे राम मंदिर में श्रद्धालुओं को रामलला का दर्शन प्राप्त होगा. राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने मीडियो से बात करते हुए राम नवमी पर श्रद्धालुओं से अयोध्या ना आने की अपील की है. 



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राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति के रामनवमी उत्सव की तैयारियों की जा रही हैं. मंदिर ट्रस्ट ने रामनवमी मनाने को लेकर चर्चा की. श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे रामनवमी पर अपने-अपने स्थानों पर ही पूजा करें और उसके बाद अयोध्या आएं. अगर शहर में अप्रत्याशित संख्या में श्रद्धालु आते हैं तो इससे कानून व्यवस्था पर दबाव पड़ेगा। पुलिस और प्रशासन का उद्देश्य शांतिपूर्ण रामनवमी समारोह सुनिश्चित करना है..."


लाइव प्रसारण भी किया जाएगा 
रामनवमी उत्सव की तैयारियों को लेकर राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक के बाद महासचिव चंपतराय ने 5 अप्रैल 2024 को जानकारी दी थी कि राम मंदिर में रामलला के जन्मोत्सव पर प्रसार भारती के द्वारा लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा. इसके लिए अयोध्या नगर निगम में लगभग 100 स्थान पर एलईडी स्क्रीन लगाया जाएगा. लोग घर पर ही रामलला का दर्शन कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि रामनवमी पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का आकलन संभव नहीं है. लाखों दर्शनार्थियों को मंदिर में सात लाइनों में दर्शन कराए जाने की व्यवस्था बनाई गई है.


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चार घंटे नहीं कर पाएंगे दर्शन 
वहीं राम मंदिर में भगवान के श्रृंगार, भोग, आरती के लिए लगभग 4 घंटे का समय लगता है. इसके लिए किसी भी परिस्थिति में समय का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है. बाकी अन्य समय श्रद्धालु दर्शन से वंचित न रहें, इसकी पूरी व्यवस्था की जाएगी. उन्‍होंने बताया कि वर्तमान में लोग 14 घंटे तक रामलला के दर्शन कर पा रहे हैं. रामनवमी में 20 घंटे तक दर्शन कर पाएंगे. 


मोबाइल और जूते चप्पल बाहर छोड़कर आएं
चंपत राय ने श्रद्धालुओं से निवेदन करते हुए कहा कि दर्शन करने के समय अपने साथ मोबाइल और जूते चप्पल बाहर छोड़कर आएं. इससे दर्शन की अवधि घट जाएगी और अधिक से अधिक लोगों को दर्शन कराया जा सकेगा. वहीं, दर्शन मार्ग पर गर्मी से बचाव के लिए जन्मभूमि परिसर के प्रवेश और निकास मार्ग को छाया से ढंकने का कार्य किया जा रहा है. जमीन पर जहां कंकड़ पत्थर पैर में चुभता है, उन सभी स्थानों पर मैट बिछाए जाएंगे. साथ ही श्रद्धालुओं को 50 स्थान पर पानी पीने की सुविधा भी उपलब्ध होगी. श्रद्धालुओं को डायरिया से बचाव के लिए ट्रस्ट ओआरएस का पाउडर भी वितरित करेगा.