गंगा को एस्केप चैनल वाला शासनादेश रद्द करने की मांग, तीर्थ पुरोहितों ने दी आंदोलन की चेतावनी
हरिद्वार में एक बार फिर हर की पौड़ी से होकर बहने वाली गंगा नदी को एस्केप चैनल वाला शासनादेश रद्द करने की मांग उठी है.
हरिद्वार: हरिद्वार में एक बार फिर हर की पौड़ी से होकर बहने वाली गंगा नदी को एस्केप चैनल वाला शासनादेश रद्द करने की मांग उठी है. श्री गंगा सभा के सदस्यों ने सरकार एस्केप चैनल को रद्द कर गंगा में गिर रहे 22 गंदे नालों पर रोक लगाने की मांग की है. तीर्थ पुरोहितों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हर की पौड़ी के अलावा अन्य घाटों को हर की पौड़ी बताकर होने वाले कर्मकांडो को अनुचित बताया है.
तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पहले गंगा को एस्केप चैनल का शासनादेश जारी करके बड़ा पाप किया और अब बीजेपी सरकार इस शासनादेश को रद्द नहीं कर रही है. उन्होंने चेतावनी भी दी है यदि जल्द ही उनकी इन सभी मांगों को सरकार पूरा नहीं करती तो वे 18 सितंबर को हर की पौड़ी से जनांदोलन करेंगे.
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गंगा सभा के सदस्यों ने आरोप लगाया कि विभिन्न स्नान पर्वों पर प्रशासन हर बार हर की पौड़ी को सील करके अन्य घाटों को खोल देता है और इन घाटों पर हर की पौड़ी के श्राइन बोर्ड लगाकर ब्रह्मकुंड के अस्तित्व को ठेस पहुंचाने का काम किया जा रहा है. अब वो इसका पुरजोर विरोध करेंगे.
आपको बता दें कि 2016 में हरीश रावत सरकार ने गंगा की धारा के किनारे करीब 400 निर्माण बचाने के लिए ही धारा को स्कैप चैनल घोषित किया था. इसका मतलब है कि यह धारा एक नहर है जो गंगा में अतिरिक्त पानी की निकासी के काम आती है. क्योंकि एनजीटी का आदेश था कि गंगा की धारा के 200 मीटर दायरे से निर्माण हटाया जाए.
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