आगरा: कोरोना महामारी ने जब देश को जकड़ना शुरू किया था, तब इससे लड़ने के लिए अल्कोहल वाला सैनिटाइजर इस्तेमाल करने को कहा गया था. इससे यह बात भी फैलने लगी थी कि अगर सैनिटाइजर में मिला अल्कोहल कोरोना से फाइट कर सकता है, तो डायरेक्ट शराब पीने से और फायदा होगा. मजाक-मजाक में इसके Memes भी बनने लगे और लोग इसे सच मानने लगे. लेकिन नई रिसर्च में जो बात सामने आई है, वह शायद आपने न सोची हो. दरअसल,  आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की एक रिसर्च में पाया गया है कि शराब कोरोना से जंग जिताने की जगह महामारी से फाइट करना और मुश्किल बना सकती है. जानें क्या कहती है रिसर्च...


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सरकार ने यह माना है कि देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है. ऐसे में देशवासियों को बचाने के लिए वैक्सीनेशन का काम भी जोरों पर है. भारत में बनीं कोविड वैक्सीन काफी असरदार मानी जा रही हैं. लेकिन एक रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग शराब या स्टेरॉयड का रोजाना सेवन करते हैं, उनके अंदर एंटीबॉडी नहीं बन पाई हैं. 


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136 लोगों पर हुई रिसर्च
दरअसल, कोरोना वैक्सीनेशन की पहली डोज लेने वाले 136 लोगों पर SN मेडिकल कॉलेज ने रिसर्च की. इनमें दोनों तरह के लोग शामिल किए गए- जो कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ. पहली वैक्सीनेशन लगाने के 28 दिन बाद उनका ब्लड सैंपल लिया गया. रिपोर्ट में पाया गया है कि ज्यादातर लोग, जिन्हें वैक्सीन लगाई गई थी, उनमें एंटीबॉडी की संख्या अनुमान से कई गुना ज्यादा निकलीं, लेकिन कुछ में एंटीबॉडी डेवलप ही नहीं हो पाईं. 


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कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों में सबसे ज्यादा एंटीबॉडी
आंकड़ों के अनुसार 136 लोगों में से 132 के अंदर अच्छी-खासी संख्या में एंटीबॉडी बन गईं. सबसे ज्यादा एंटीबॉडी उन लोगों में पाई गईं, जो कोरोना से जंग जीत कर लौटे थे. हालांकि, 4 लोगों में एंटीबॉडी डिटेक्ट नहीं की जा सकीं. चारों के बारे में जानने पर पता चला कि यह लोग रोज या तो अल्कोहल या स्टेरॉयड का सेवन करते हैं. 


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दूसरे डोज के बाद फिर होगा ब्लड टेस्ट
यह भी माना जा रहा है कि एंटीबॉडी न बनने के पीछे इनकी बीमारियां भी हो सकती हैं. क्योंकि कुछ बीमारियों में हेवी एंटीबायोटिक दवाइयां खानी पड़ती हैं. फिलहाल, इन चार लोगों को रिजर्व कर लिया गया है. वैक्सीनेशन के दूसरे डोज के बाद इनका ब्लड सैंपल लेकर फिर से जांच की जाएगी. अगर फिर भी एंटीबॉडी नहीं बनती हैं, तो इनके जींस (Genes) और सेल्स (Cells) पर स्टडी की जाएगी. 


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