Navratri 2022: नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करते हैं. हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्त्व है. नवरात्रि में जगह-जगह दुर्गा पूजा के पंडाल सजाए जाते हैं. मंदिरों में भी भक्तों की भारी उमड़ती है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिले बाराबंकी (Barabanki Temples) में भी कई दुर्गा मंदिर हैं. इन मंदिरों की अपनी अलग-अलग कहानियां हैं. आज आपको एक ऐसे ही अद्भुत दुर्गा मंदिर की कहानी से रूबरू कराते हैं. इस मंदिर को शैलानी माता मंदिर (Shailini Mata Mandir) के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में एक रहस्यमयी जलकुंड भी है. ऐसी मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं. 


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यहां स्थित है मंदिर 
माता शैलानी देवी का मंदिर बाराबंकी के सतरिख थाना क्षेत्र में स्थित है. मान्यता है कि नवरात्रि में जो भक्त यहां पूरी श्रद्धा और आस्था से मां की अराधना करते हैं. मां उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है. नवरात्रि में इस मंदिर में जिले के कोने-कोने से तो भक्त आते ही हैं. साथ ही दूसरे जिलों और प्रदेशों से भी हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. 


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रोजाना रात को सिंह पर सवार होकर आती हैं देवी मां
नवरात्रि के अलावा प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार के साथ हर महीने की पूर्णिमा को यहां भक्तों का तांता लगता है. भक्त यहां अपनी मान्यता के अनुसार माता को चुनर इत्यादि भेंट करते हैं. माना जाता है कि यहां रोजाना रात्रि में देवी मां सिंह की सवारी करके आती हैं. यही वजह है कि मंदिर परिसर या उसके आस-पास कोई रात के समय नहीं रुकता है.  


मन्नत के लिए चढ़ाते हैं चुनरी 
मंदिर के पुजारी वासुदेव दास के मुताबिक, भक्त यहां अपनी मन्नत मांगने के लिये चुनर और धागे से गांठ भी लगाते हैं. जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, वह यहां घंटा, प्रसाद आदि चढ़ाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं. भक्त यहां अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी करते हैं. महिलाएं भी पिन्नी, दुरदरइया समेत कई विशेष पूजा करती हैं. 


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परिसर में है रहस्यमयी जलकुंड 
माता शैलानी देवी मंदिर परिसर में एक रहस्यमयी जलकुंड भी है. भक्त पहले यहां स्नान करते हैं फिर मंदिर में दर्शन करते हैं. इस कुंड की में पानी कहां से आता है यह किसी को नहीं पता. कुंड में पानी लगातार निकलता रहता है. मान्यता के अनुसार जैसे-जैसे भक्तों की संख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे इस कुंड का पानी ऊपर आता जाता है. इसका जल मंदिर के पास से ही गुजरी गोमती नदी में जाकर मिलता है. इस कुंड में रंग बिरंगी मछलियां तैरती हुई नजर आती हैं. मान्यता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता है.